रिश्वत देकर सुरक्षा की ड्यूटी पाने वाले से रक्षा की कितनी उम्मीद
रामकंडे मिश्रा
होमगार्ड के सैकड़ों जवानों से ड्यूटी के लिए ली जाती है रिश्वत
मलाईदार जगह के लिए भारी भरकम रकम निर्धारित
रिश्वत नहीं देने वाले को ड्यूटी के लिए लगानी पड़ती है महीनों कार्यालय का चक्कर
डीसी और एसएसपी से रिश्वत बंद कराने की उम्मीद में होमगार्ड के जवान
रखवार से अगर रिश्वत लेकर ड्यूटी दी जाए तो उससे आम आदमी सुरक्षा की कितनी उम्मीद कर सकता है. कोमो वस रखवार की ड्यूटी करने वाले जिले के होमगार्डों का यही हाल है. होमगार्ड आफिस के सामने ड्यूटी पाने के लिए लंबी कतार लगी रहती है. 4 माह की ड्यूटी के लिए पीछे के दरवाजे से रिश्वत देनी पड़ती है. उसके बाद चार चार माह पर रिन्यूअल होता है और रिश्वत भी दोहरान पड़ता है. आला अधिकारी तक रिश्वत के पैसे पहुंचाने के लिए कुछ होमगार्ड दलालों की भूमिका में सीधे तौर पर दिख जाएंगे. होमगार्ड जवानों के बीच जो ड्यूटी के लिए लाइन में खड़े हैं यह आम चर्चा का विषय है. भविष्य में नौकरी ना चली जाए और ड्यूटी न मिले इसके भय से कोई खुलकर बोलने को कुछ तैयार नहीं है. नाम नहीं छापे जाने और गोपनीयता बरते जाने की शर्त पर ट्रस्ट होमगार्डों ने अपने दिल की बात बताई. पीड़ित प्रताड़ित होमगार्ड के जवानों का कहना था की ड्यूटी पाने के लिए प्रत्येक 4 माह पर रिन्यूअल कराना पड़ता है. बदले में जगह के हिसाब से 5 से 10 हजार रुपये तक रिश्वत देने पड़ते हैं. कमाई वाले जगह के लिए ₹15000 भी देने पड़ते हैं. अन्यथा दौड़ते रहिए. कोई ना कोई बहाना बनाकर कोई ना कोई कमी ढूंढ कर महीनों दौड़ाया जाता है. फिर भी काम नहीं मिलते. स्थिति ऐसी है की शिकायत कोई सुनने वाला नहीं है. जिन्हें ड्यूटी देनी है उनकी मिलीभगत है . आखिर मजबूर होकर होमगार्ड के जवानों को अपनी गाढ़ी कमाई में से रिश्वत देना पड़ता है. अगर अच्छी जगह पोस्टिंग हो गई तो ऊपरी आमदनी से भी यह रकम अदा कर दी जाती है . बोली भी लगती है पोस्टिंग के लिए. एक होमगार्ड के जवान ने बताया की जवानों में से ही कुछ लोग लविंग करते हैं. बैंक में ड्यूटी के लिए रिश्वत की रकम अलग निर्धारित है. क्योंकि वह आराम वाली जगह है. एमजीएम कॉलेज और हॉस्पिटल के लिए अलग-अलग पैसे निर्धारित हैं. टीएमएच मैं घड़ी ड्यूटी देनी पड़ती है, इसलिए कोई जाना नहीं चाहता. होमगार्ड का जवान उमेश सिंह वहां तैनात था. उस पर भी आरोप प्रत्यारोप के बाद कई बार हटाया गया. बरसोल और बहरागोड़ा जैसे चेकपोस्ट पर ड्यूटी के लिए बड़ी रकम देनी होती है. होमगार्ड के एक जवान ने मजे की बात बताई. उसका कहना था कि ग्रामीण एरिया से जुड़े और खेती बाड़ी का धंधा करने वाले होमगार्ड के जवान ऐसे जगह ड्यूटी पाना चाहते हैं , जहां केवल हाजिरी बनती है हाजिरी बना कर वह अपना काम धंधा करते हैं. बदले में रजिस्टर मेंटेन करने वाले और हाजिरी बनाने वाले व्यक्ति को महीने की एक तिहाई वेतन की राशि रिश्वत के रूप में देनी पड़ती है. होमगार्ड के एक जवान का कहना था कि कभी-कभी चेकिंग के दौरान गैरहाजिर पाए जाने वाले होमगार्ड के जवानों के नाम के सामने ए लिख दिया जाता है, जिसे बाद में व्हाइटनर लगाकर पी कर दिया जाता है. इस बारे में कोई इसलिए नहीं पूछता क्योंकि रिश्वत की रकम का बंटवारा होता है. होमगार्ड ड्यूटी नियमावली के मुताबिक एक जवान एक स्थान पर 4 माह से अधिक ड्यूटी नहीं कर सकता. रिन्यूअल के बाद उसका तबादला कर दिया जाना है. लेकिन पैसे और पैरवी के आगे इन नियमों को ताक पर रखकर वर्षों से एक ही जवान एक ही स्थान पर बना हुआ है. जानकारी हो कि वर्तमान में होमगार्ड के डीएसपी के रूप में अशोक कुमार पदस्थापित है . बताया तो यह भी जाता है कि सारा कुछ उनकी जानकारी में होता है. लेकिन सच क्या है इसका पता लगाने की जरूरत है. ऐसे तो किसी अधिकारी के खिलाफ कुछ नहीं कहा जा सकता . इसके अलावा कंपनी कमांडर के रूप में अरविंद कुमार वैद्य की पोस्टिंग है और अमरजीत टोप्पो भी इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत है. होमगार्ड ऑफिस के बाहर ड्यूटी मिलने की प्रतीक्षा में खड़ा एक जवान कहता है कि उनके सहकर्मी जवान लॉबिंग करते हैं और कलेक्शन एजेंट के तौर पर काम करते हैं . उसने कई लोगों के नाम भी गिनाए जिनका नाम लिया जाना उचित नहीं लगता . उसका यह भी कहना था कि एमजीएम हॉस्पिटल में 90 जवानों की तैनाती है . कई जवान अनुपस्थित रहते हैं. उसकी चोरी छुपा ली जाती है. बदले में रिश्वत दी जाती है. जहां तक एमजीएम कॉलेज की बात है तो वहां 45 जवान ड्यूटी पर तैनात हैं. उन में आधे से अधिक खेती बाड़ी का काम करने चले जाते हैं. और उनका भी प्रजेंटेशन दिखाया जाता है. बदले में सेवा ली जाती है. एक ही जवान एक1- 2 वर्षों से एमजीएम हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर तैनात है. ऐसा पैसे और पैरवी के आगे नियमों को ताक पर रखकर किया जाता है. मेडिकल कॉलेज में हाजिरी बनाने का काम बड़ा बाबू बी एन मलिक करते हैं . जिले के उपायुक्त सूरज कुमार और सीनियर एसपी डॉक्टर एम तमिल वानन की छवि एक ईमानदार आईएएस और आईपीएस अधिकारी के रूप में है. लेकिन भयवस उनसे कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता क्योंकि नौकरी के खतरे में पड़ जाने और ड्यूटी नहीं मिलने का जोखिम उठाना पड़ेगा. पिछले एक माह से होमगार्ड ऑफिस का चक्कर लगा रहे एक जवान ने बताया कि उसने रिश्वत नहीं दी है. और देना भी नहीं चाहता है. इसलिए उसे कोई ना कोई बहाना बनाकर दौड़ाया जा रहा है . कुछ और जवानों ने उसकी बातों का समर्थन किया वह लोग भी होमगार्ड ऑफिस में ड्यूटी के लिए अपनी बारी के आने का इंतजार कर रहे थे. उनका कहना था कि वे चाहते हैं की अखबार और अन्य न्यूज़ माध्यमों से होमगार्ड डिपार्टमेंट की सच्चाई उन तक पहुंचे, ताकि वे इस असलियत का पता लगाकर कार्रवाई करें.