अब दो टके के नेता गरीबों की नहीं उडा़ पायेंगे मज़ाक
निजाम खान
कोविड-19 कोरोना वायरस का कहर से ज्यादा अब लोगों को जनप्रतिनिधि व समाजसेवी से डर लग रहा है।मानों गरीब आदमी इन लोगों से सहमें हुये है।मेरा कहने का संदर्भ आप तो समझ ही गये होंगे।फिर भी अपने संदर्भ को आपके समक्ष रखना मुनासिब समझता हूं।बीते 24 मार्च रात्री के बारह बजे से पूरे देशभर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉक डाउन लगा दिया।यह लॉक डाउन समाजहित में ही लगाया।जिसका पूरे भारतवर्ष ने स्वागत भी किया है।क्योंकि सबको अपनी जान प्यारी है।लॉक डाउन लगने से लोगों का दैनिक मजदूरी भी ठप हो गया।इस बिमारी को वैश्विक महामारी घोषित किया गया है।इस बिमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है।यह बिमारी छुने से फैलती है।पर इसको हराने में जितना मुश्किल है उससे कहीं ज्यादा हम आसानी से जीत सकते हैं।बस सिर्फ आपको घर के अंदर ही रहना है।सोशल डिस्टेंस का पालन करना है।बहुत जरूरी हो तो घर से निकले।मास्क पहने।सेनिटाइजर करें।मैं एक अखबार में एक सज्जन को फटा मास्क पहनते देखा।पर उसके सिर पर एक गमछा भी था।लेकिन बेचारा फटा मास्क को ही पहना हुआ था।इससे प्रतित होता है हमें अभी भी जागरूकता की कमी है।लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं देश के प्रधानमंत्री बीते 11 अप्रैल को लॉक डाउन को लेकर सभी राज्य के मुख्यमंत्री से वीडीयों कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे थे।तब प्रधानामंत्री मास्क नहीं पहने थे।एक सफेद कपड़ा से मुंह और नाक को ढके हुये थे।क्या प्रधानमंत्री चाहते तो अपने लिए एक मास्क जुगाड़ नहीं कर पाते।लेकिन प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया।जानते हैं ऐसा क्यों नहीं किया।दर असल वे देश की जनताओं को एक संदेश दे रहे थे कि आपके पास अगर मास्क नहीं है तो कोई बात नहीं।आप स्वच्छ कपड़े से अपने मुंह और नाक को ढाक ले।इससे भी आप सुरक्षित रहेंगे।गौरतलब है कि इसी मास्क को लेकर लोगों की गलतफहमी से देश के विभिन्न हिस्सों में कालाबाजारी के खबरें भी सामने आयी।10-12₹ रूपये का मास्क 250₹ लगभग तक में बिक्री हुई। मैं अब बात करते हैं उन गरीबों की जिन्हें इस कोरोना से जितना भय नहीं लगा उससे ज्यादा जनप्रतिनिधि व समाजसेवियों के सहायता से डर लगने लगा है।मेरा दोस्त रवि को एक जनप्रतिनिधी का कल कॉल आया।जनप्रतिनिधि ने कहा कि मैं तुम्हें सहयोग करने के लिए आज दोपहर में आ रहा हूं।हम बोले अच्छी बात है।इस महामारी के समय तुम्हें सहयोग करेगा।कहा बात अच्छी है।पर मेरी मज़ाक भी तो उड़ायेगा।मैंने पूछा व कैसे?तो कहा परसों नहीं देखा वो जो शहर के अभी बड़े नेता बताये जा रहे है व मेरे घर दोपहर के समय आया था।मैंने कहा कि मैं पहले इन्हे तो कभी देखा नही।नाम तक सुना नहीं।उसने कहा तुम तो किया गांव केे किसी भी व्यक्ति को मालूम नहीं है।यहां तक सोशल मीडीया पर हमारा वायरल वीडीयो को देख पड़ोसी गांव के लोगों ने भी कहा कि इन्हें कभी देखा नहीं है।उसने कहा कि ये सब बाद की बात है। छोड़िए!आश्चर्य की बात है नेता जी ने सिर्फ एक किग्रा चावल दिया।कहा इतने बड़े नेता हमारे घर आये है। कम-से-कम चाई-पानी तो बनता है।मैंने कहा हां बिल्कुल!पर चावल की कीमत ज्यादा से ज्यादा 20-22 रूपया किग्रा होगा।पर चाई-बिस्कीट में तीस रूपया से ज्यादा खर्च हो जायेगा।उसने कहा उसका चिंता भी नहीं और दुख भी नही।मैं पूछा तो फिर क्या बात है?उसने रोंगटे खड़ी कर देने वाली बात बताया।जिससे मैं मार्मिक हो गया।मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप भी मार्मिक हो जायेंगे।बताते चले मेरे दोस्त ने क्या कहा?उसने कहा कि नेताजी तो बीस रूपये का सहयोग किया।बदले में बीस हजार का फोटो/वीडीयो बना लिया।जिससे उनको क्रेडीट मिल रहा है।बदले में सोशल मीडीया नेताजी द्वारा फोटो/वीडीयो को पोस्ट कर हम जैसे गरीबों का मज़ाक उड़ाया जा रहा है।अब इन सब कारनामा से निपटने के लिए प्रशासन सख्त है।प्रशासन ने इसके लिए तैयारीयां पूरी कर ली है।जामताड़ा जिला के उपायुक्त गणेश कुमार ने अब ऐसे दो टके के नेता/जनप्रतिधि/समाजसेवी से निपटने के लिए कदम उठाया है।अब आप गरीबों की सहयोग तो कर पायेंगे।पर अब आप गरीबों की सहयोग करते समय का फोटो/वीडीयो नहीं ले सकते।अब फोटो/वीडीयो पर जामताड़ा उपायुक्त ने प्रतिबंध लगा दिया है।अब सहयोग करते समय फोटो/वीडीयो करने पर आप पर कार्यवाही होगी।जामताड़ा उपायुक्त के इस पहल की लोग सराहना कर रहे हैं।ज्यादातर लोग जामताड़ा उपायुक्त को आदर्श का उपाधी दे रहे हैं।आपको बता दे जामताड़ा उपायुक्त ऐसे अनेकों कार्य किए हैं।जिसमें उपायुक्त की सराहना की गयी है।हाल ही में पश्चिम बंगाल के लोगों को बंगाल प्रशासन ने अपने ही राज्य में आने से रोक लगाई तो जामताड़ा उपायुक्त ने रहने व खाने- पीने का व्यावस्था कर दिया।जिसमें पश्चिम बंगाल के लोगों ने भी सराहना की।जामताड़ा उपायुक्त एक ओर जहां ल़ोगों के लिए सकारात्मक सोच सोचते हैं तो वहीं दूसरी ओर बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए भी सोचते हैं।वे रोजाना सुबह-शाम पक्षियों के लिए खाने/पीने का व्यावस्था करते हैं। उपायुक्त ने लोगों से अपील भी किया है कि सभी अपने-अपने घर के छत,बालकनी,बरामदे में मिट्टी के बर्तन में पेयजल की व्यावस्था सुनिश्चित करें। उपायुक्त ने कहा हमलोग अपने लिए तो खाने/पीने का व्यावस्था कर लेंगे।पर अभी स्थिती में गांव शहरीकरण में तब्दील हो रहा है।जलस्रोत भी घटता जा रहा है।ऐसे में पक्षियों के लिए पेयजल की व्यावस्था नहीं करने से उसका अस्तित्व खत्म हो जायेगा।गौरतलब है एक जमाना हुआ करता था।जब पक्षियों की रेलगाड़ी की तरह चांदनुमा तरीके से आसमान में उड़ते दिखाई दे रही थी।अभी वह शहरी क्षेत्र तो छोड़िए ग्रामीण क्षेत्र में लगभग लुप्त हो गया है।ऐसे में इस संसार में हमको रहने से पशु-पक्षी की भी आवश्यक्ता है।पशु-पक्षी का अस्तित्व खत्म होना प्रकृति के साथ छेड़ना बराबर है।जब-जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ होगी तब-तब हमें इसका भयानक परिणाम भुगतना पड़ेगा।