पेइचिंग. चीनी सरकार ने मौका देखकर दक्षिणी चीन सागर के विवादित क्षेत्र में युद्धपोतों, पनडुब्बियों और लड़ाकू विमानों के साथ बड़ा सैन्य अभ्यास किया है. इस क्षेत्र में अमेरिका भी अपने युद्धपोत भेजता रहता है. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लगभग निजात पा चुके चीन ने दोबारा अपने सामरिक और युद्धक रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.जहां अमेरिका समेत दुनिया के कई बड़े देश कोरोना के संक्रमण को रोकने में विफल साबित हो रहे हैं वहीं चीनी सेना ने एंटी शिप, एंटी सबमरीन और एंटी एयरक्राफ्ट गनों के साथ समुद्र में बड़े पैमाने पर अभ्यास किया. इससे चीन का मकसद क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करना था. इसके अलावा चीनी नौसेना ने फ्लीट के नेविगेशन को लेकर भी अभ्यास किया.चीन के इस अभ्यास की अमेरिका समेत कई देशों ने निंदा भी की है. समय देखकर चीन ने किया युद्धाभ्यास चीन ने यह युद्धाभ्यास ऐसे मौके पर किया है जब दक्षिणी चीन सागर में कोई भी अमेरिकी जंगी जहाज उपस्थित नहीं था. अमेरिकी नौसेना देश में फैले कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन के साथ काम कर रही है.वैश्विक निंदा से बचने के लिए चीन ने अपनाया यह पैंतरा इस युद्धाभ्यास की वैश्विक निंदा के बाद चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह दक्षिणी चीन सागर में अपने युद्धपोत को भेज रहा है जब चीन दुनिया के कई देशों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सहयोग कर रहा है.चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह हमारी संप्रभुता का उल्लघंन है. दक्षिणी चीन सागर का दौरा करने वाले अमेरिकी युद्धपोत में 170 कोरोना पाजिटिव हाल में ही अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट ने दक्षिणी चीन सागर का दौरा किया था. जिसके बाद युद्धपोत के कप्तान ब्रेट क्रोज़ियर ने पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि उनके जहाज पर कोरोना वायरस के 170 मामले सामने आए हैं.उन्होंने अमेरिकी सरकार से सहायता का अनुरोध भी किया था. दक्षिणी चीन सागर को लेकर इन देशों में विवाद बता दें कि दक्षिणी चीन सागर में कई छोटे-छोटे द्वीप हैं. हालांकि अधिकांश भूभाग पर चीन अपना दावा करता है जबकि पड़ोसी देश फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई, चीन के इस दावे को नकारते हैं. हाल में ही चीन के बढ़ते दखल को देखते हुए इंडोनेशिया ने दक्षिणी चीन सागर में मौजूद एक द्वीप पर अपने लड़ाकू विमानों को तैनात कर दिया था.