नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए संकट के कारण असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लगभग 40 करोड़ भारतीयों पर गरीबी में डूबने का खतरा मंडरा रहा है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट में ये बात कही गई है. इसमें कोरोना वायरस को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा वैश्विक संकट बताया गया है और 2020 की दूसरी तिमाही में दुनियाभर में 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों पर असर पड़ने की बात कही गई है.रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार में सबसे अधिक कटौती अरब देशों में होगी, जिसके बाद यूरोप और एशिया-प्रशांत का स्थान होगा. वहीं, महामारी के चलते पूरी दुनिया में 2020 की दूसरी तिमाही में 6.7 पर्सेंट वर्किंग आवर्स का नुकसान हो सकता है.ILO की इस रिपोर्ट में कोरोना वायरस के कारण दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें कहा गया है कि ये संकट अभी तक असंगठित क्षेत्र के करोड़ों कर्मचारियों को प्रभावित कर चुका है और आगे चलकर 2 अरब लोगों को प्रभावित कर सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया गया है कि असंगठित क्षेत्र से संबंधित ये ट्रेंड ज्यादातर विकासशील देशों में देखने को मिलेगा.रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 संकट से पहले ही असंगठित क्षेत्र के लाखों श्रमिकों प्रभावित हो चुके हैं. आईएलओ ने कहा, भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में लॉकडाउन और अन्य नियंत्रण उपायों से बड़ी संख्या में असंगठित अर्थव्यवस्था के श्रमिक प्रभावित हुए हैं. भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जहां लगभग 90 प्रतिशत लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं वहां इस संकट के दौरान 40 करोड़ लोगों के गरीबी में डूबने का खतरा है.रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 दिन के मौजूदा लॉकडाउन से असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी बेहद प्रभावित हुए हैं और इस कारण कईयों को ग्रामीण इलाकों में वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.भारत में भी इसका खासा असर देखने को मिलेगा एक्सपर्ट्स और इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक आने वाले 3 से 6 महीनों में आईटी सेक्टर के 1.5 लाख लोगों की नौकरी पर संकट पैदा हो सकता है. आईटी सेक्टर से पूरे देश भर में 50 लाख लोगों को नौकरी मिलती है, जिनमें से 10 से 12 लाख कर्मचारी छोटी कंपनियों से ही जुड़े हैं.आईटी सेक्टर की टॉप 5 कंपनियों में ही अकेले 10 लाख लोग कार्यरत हैं.रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक तौर पर असंगठित क्षेत्र के 1.25 अरब कर्मचारियों पर वेतन और काम करने के घंटों में कटौती का गंभीर खतरा है.इनमें से अधिकांश कर्मचारी कम वेतन वाली नौकरियां करते हैं जहां कमाई में अचानक कमी बड़ा असर डाल सकती है और इससे करोड़ों लोगों की नौकरी भी जा सकती है. इसमें अरब देशों में 50 लाख (8.1 प्रतिशत), यूरोप में 1.2 करोड़ (7.8 प्रतिशत) और एशिया और पेसिफिक में 12.5 करोड़ (7.2 प्रतिशत) पूर्णकालिक नौकरियों पर असर पड़ने की बात भी कही गई है.बता दें कि, देश में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. बुधवार (8 अप्रैल, 2020) तक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 5,194 हो गई है.वहीं, इस बीमारी से 149 लोगों की मौत हो चुकी है. विश्व में बुधवार को कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 14,31,706 पहुंच गई. इसमें 82,080 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि तीन लाख लोग ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं. रिपोर्ट की मानें तो कोरोना वायरस से पैदा इस संकट का असर सभी आय समूहों पर पड़ेगा लेकिन 10 करोड़ से ज्यादा पूर्णकालिक कर्मचारियों वाले उच्च-मध्यम आय वाले देशों पर इसका असर ज्यादा पड़ने की संभावना है.ILO के अनुसार, आवास और खाद्य सेवाएं, मैन्युफैक्चरिंग, खुदरा और व्यापार और प्रशासनिक गतिविधियों से संबंधित क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा खतरा है. 2020 में बेरोजगारी 2.5 करोड़ के ILO के शुरूआती अनुमान से बहुत अधिक रहने की संभावना भी जताई गई है.यदि कोई एक देश विफल होगा, तो हम सभी विफल हो जाएंगे. हमें ऐसे समाधान खोजने होंगे जो हमारे वैश्विक समाज के सभी वर्गों की मदद करें, विशेष रूप से उनकी, जो सबसे कमजोर हैं या अपनी मदद करने में सबसे कम सक्षम हैं. ILO के महानिदेशक गाय रायडर ने इस बारे में कहा कि कर्मचारी और कारोबार तबाही का सामना कर रहे हैं. हमें तेजी से, दृढ़ता से और एक साथ आगे बढ़ना होगा.सही, तत्कालिक कदम बचे रहने और पतन में अंतर पैदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये महामारी पिछले 75 साल में अंतराष्ट्रीय सहयोग के लिए सबसे बड़ा टेस्ट है जिसमें अगर एक देश असफल होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा.