एसएसपी साहब! बिरसानगर थानेदार के कई मामले हैं कि अगर जांच हो तो बड़े खुलासे होंगे, इस घटना से पुलिस की साफ छवि धूमिल हुई है
धनंजय प्रसाद सिंह
क्या एक विधवा मां को मिलेगा इंसाफ?
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में जहाँ देश के पुलिस प्रशासन की भूमिका की मुक्त कंठ से पूरे देश में सराहना हो रही है वहीं जमशेदपुर के बिरसानगर थाना प्रभारी सुनील कुमार कुशवाहा का अमानवीय कृत्य शहर के अखबारों की सुर्खियों में है।पुलिस का काम है वर्तमान संकट की घड़ी में जनता को सरकार के लोकहितकारी आदेश के पालन के लिए प्रेरित करना,न कि ऐसे हालात पैदा करना कि कोई मौत को गले लगाने के लिए बाध्य हो जाये। काफी जद्दोजहद के बाद मृतक का पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के साथ दंडाधिकारी की मौजूदगी में हुआ सवाल उठता है कि थाना प्रभारी के योगदान के बाद से ही थाना विवादों में रहा है कई ऐसे मामले वरीय पदाधिकारियों की नजर में है जिसकी अगर जांच हुई तो चौंकाने वाले तथ्य भी सामने हो सकते हैं थाना प्रभारी ने योगदान के बाद क्षेत्र में एक तरह से क्षेत्रवार अपराधियों पर नकेल कसने के लिए टीम तैयार किया था वह टीम कारगर साबित नहीं हुए बल्कि वे लोग जिन्हें जिम्मेदारी दी गई थी वे पॉकेट भरने में मश्गुल रहे क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री , सरकारी जमीन अवैध निर्माण और नक्शा विचलन कर भवन निर्माण का कार्य निर्विघ्नं चलता रहा है पोस्टमार्टम के लिए तैयार हुए परिवार वालों ने बिरसा नगर थाना प्रभारी के लापरवाही की जांच की मांग की है सिटी एसपी ने जांच का जिम्मा पुलिस उपाधीक्षक अनुदीप सिंह को दिया है जांच अगर निष्पक्ष हुई तो कार्रवाई भी होनी तय है परंतु कुछ राजनीतिक दल के लोग अभी से मामले को रफा-दफा करने में लगे हैं उन्हें कौन समझाए कि जिस मां का लाल थानेदार के अमानवीय चेहरा के कारण काल के गाल में चला गया हो उस मां पर क्या बीत रही होगी
ज्ञात हो कि टेल्को सीटू तालाब के पास 3 युवक बैठे थे।बिरसानगर के थानेदार सुनील कुमार कुशवाहा अन्य दो पुलिस कर्मियों के साथ लॉकडाउन के उल्लंघन का मुआयना करने गश्त पर निकले और जब वे सीटू तालाब के समीप पहुँचे तो तीन युवकों जिनका नाम विक्की महतो,आसिफ हुसैन और दिनेश कुमार बताया जाता है,को तालाब के किनारे बैठे देखा।इन युवकों को लॉक डाउन का उल्लंघन करते देख आक्रोशित होकर पुलिस कर्मियों ने युवकों को खदेड़ा।बचने के लिए तीनों युवक भागे जिसमें दिनेश कुमार भागने में सफल रहा और विक्की एवं आसिफ तालाब में कूद गए।इनमें से आसिफ तो तैर कर निकल गया लेकिन विक्की महतो की डूबने से मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शी दिनेश कुमार का कहना है है कि जब विक्की डूब रहा था उस समय थाना प्रभारी एवं अन्य पुलिसकर्मी वहाँ मौजूद थे लेकिन उसे बचाने की कोई कोशिश नही की गई।अगर पुलिस वाले चाहते तो उसे बचा सकते थे।
लेकिन अमानवीयता की हद तो तब हुई जब विक्की के डूबने के पश्चात पुलिस वहाँ से चली गई और बाद में स्थानीय लोगों के एकत्रित होने के पश्चात सिटी एस पी, सिटी डी एस पी,सी सी आर डी एस पी और गोलमुरी थाना प्रभारी के घटनास्थल पर पहुँचने के पश्चात बिरसानगर थानाप्रभारी फिर घटनास्थल पर आये।लगभग 3 घंटे के पश्चात टेल्को के दमकल कर्मियों की मदद से मृतक की लाश तालाब से निकाली गयी।तत्पश्चात लाश का पंचनामा कर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया था जिसका कल काफी जद्दोजहद के बाद दंडाधिकारी की मौजूदगी में पोस्टमार्टम हुआ है उल्लेखनीय है कि मृतक के पिता राजन महतो की पहले ही मृत्यु हो चुकी है और अपनी विधवा माँ की देखभाल करने वाला अकेला लड़का था जो एक टेंट हाउस में लाइट एंड साउंड फिटिंग का काम करता था।
बहरहाल सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय विधायक सरयू राय के प्रतिनिधि के प्रयास से मृतक का आज अंतिम संस्कार होगा देखना है कि जांच में एक मां को न्याय मिलता है या फिर न्याय की आस में मां दर दर की ठोकर खाते रहेगी