वक्त बदल जाएगा
वक्त की फितरत है बदलने की बदल जाएगा,
ये जो मौसम बुझा-बुझा है सँभल जाएगा !
घड़ी बस दो घड़ी की बात है मेरे रहबर ,
हवा जो ला रही जहर है , ठहर जाएगा!
थोड़ी शिद्दत से पुकारो उसे तुम नाम लेकर,
डर है वादे से वो अपने अब मुकर जाएगा !
जख्मी तलवे लिए जो लौट गया गाँव अपने,
मुझे लगता नहीं कि अब वो शहर जाएगा !
*कबीर* कैद है अब खुद ही खुद के आँगन में,
लिए ये आस कि ये दौर गुजर जाएगा !
यही लाजिम है अब कि दूरियाँ रहें कायम ,
वरना सिमटा हुआ हर लम्हा बिखर जाएगा!
डॉ कल्याणी कबीर