जबलपुर: अब ट्रेनों के ठहराव में नेता जी की नहीं चलेगी . रेलवे बोर्ड ट्रेनों के छोटे स्टेशनों पर ठहराव की समीक्षा करेगा. स्थानीय जनप्रतिनिधियों को फरफार्मेस दिखा जमीनी सच्चाई बताई जाएगी. इसके बावजूद मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले स्टेशनों से ट्रेनों के ठहराव की सुविधा छीन ली जाएगी. अभी तक अधिकारी रेलवे को नुकसान के बावजूद दबावों के कारण ट्रेनों के ठहराव बढ़ाते रहते थे. रेलवे बोर्ड के इस आदेश के बाद पश्चिम मध्य रेलवे में कई गाडिय़ों के ठहराव की समीक्षा होगी, कुछ ट्रेनों के ठहराव आगामी समय में बंद हो सकते हैं, जहां से नाममात्र के यात्री यात्रा करते हैं
परफार्मेस होगा ठहराव का आधार
ट्रेनों के ठहराव को रेलवे बोर्ड ने एक मानक निर्धारित किया है. मसलन, स्टेशन से कितने यात्रियों का रोजाना आना-जाना होता है. कितनी बर्थो का काउंटर से आरक्षण होता है. जनरल श्रेणी के कितने टिकट बिकते हैं. सामानों को पार्सल में भेजने की स्थिति क्या है? यह इसलिए कि ट्रेनों के प्रत्येक ठहराव पर रेलवे का करीब 10 हजार रुपये खर्च होता है. ऐसे में स्टेशन मानकों को अपनाकर ही अपना कद बचा पाएंगे.
ठहराव कर बढ़ाते रहने का प्रचलन
छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों का ठहराव जनप्रतिनिधियों की मांग पर प्रयोग के तौर पर शुरू होता है. अफसर 6 माह की प्रगति देख उसे आगे बढ़ाते हैं. स्टेशन के फरफार्मेस को रेलवे के मानकों पर कसा जाता है. दूसरी तरफ वोट बैंक घटने की आशंका में इसका विरोध होता है. रेल मंत्रलय ने निर्णय लिया है कि नुकसान उठाकर किसी को खुश नहीं करेगा.
30 दिसंबर तक मांगी रिपोर्ट
रेलवे बोर्ड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर कोचिंग एमएस भाटिया जोनल रेलवे से 30 दिसंबर तक रिपोर्ट मांगी है. हालात को नियमों के मानकों पर कसने को कहा गया है.
यह है बोर्ड की सख्ती
– रेलवे बोर्ड छोटे स्टेशनों पर गाडिय़ों के ठहराव की करेगा समीक्षा
– विरोध पर अंकुश के लिए आय का ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्णय
– एक स्टापेज पर हजारों रुपये खर्च आने से मंत्रलय अलर्ट.