Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
      • दैनिक ई-पेपर
      • ई-मैगजीन
      • साप्ताहिक ई-पेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » फेसबुक या फूहड़बुक?: डिजिटल अश्लीलता का बढ़ता आतंक और समाज की गिरती संवेदनशीलता
    Breaking News Headlines जमशेदपुर मेहमान का पन्ना

    फेसबुक या फूहड़बुक?: डिजिटल अश्लीलता का बढ़ता आतंक और समाज की गिरती संवेदनशीलता

    News DeskBy News DeskMay 28, 2025No Comments5 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    लेखिका: प्रियंका सौरभ

    जब सोशल मीडिया हमारे जीवन में आया, तो उम्मीद थी कि यह विचारों को जोड़ने, संवाद को मज़बूत करने और जन-जागरूकता फैलाने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। लेकिन आज, 2025 में, विशेषकर फेसबुक जैसे मंच पर जिस तरह से अश्लीलता और फूहड़ता का आतंक फैलता जा रहा है, वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि सभ्यता की चादर में लिपटे हमारे समाज की मानसिक पतनशीलता को भी उजागर करता है।

    अश्लील वीडियो की वायरल संस्कृति: मनोरंजन या मानसिक विकृति?

    आज फेसबुक पर एक महिला या किसी व्यक्ति की निजता से खिलवाड़ करती हुई अश्लील वीडियो अगर गलती से अपलोड हो जाती है, तो उसके रिपोर्ट और हटने से पहले ही लाखों लोग उसे डाउनलोड, साझा और एक-दूसरे से माँग लेते हैं। यह सिलसिला इतना भयावह और संगठित रूप में होता है कि लगता है जैसे सभ्य समाज नहीं, किसी डिजिटल भेड़िया झुंड में रह रहे हों।

    सबसे अधिक विचलित करने वाली बात यह है कि यह सब पढ़े-लिखे, संस्कारी दिखने वाले, प्रोफ़ाइल पर तिरंगा, ॐ या गीता का श्लोक डालने वाले लोग ही सबसे ज़्यादा करते हैं।
    तो फिर सवाल उठता है — क्या यही हमारी वास्तविक मानसिकता है?
    क्या हम दोहरे चरित्र वाले समाज के प्रतिनिधि हैं जो मंच पर नैतिकता की बात करता है और अकेले में अश्लीलता का उपभोग करता है?

    समाज की चुप्पी: एक और अपराध

    इन वीडियो को रिपोर्ट करना, विरोध करना और हटवाना तो दूर की बात, लोग इन्हें चुपचाप देखते हैं, सहेजते हैं, और निजी संदेशों में साझा करते हैं। जो कृत्य समाज में निंदा के योग्य होना चाहिए, वह मनोरंजन और मोबाइल संदेशों का हिस्सा बन जाता है। ऐसे में समाज केवल अपराधी का साथ नहीं देता, बल्कि वह खुद अपराध का भागीदार बन जाता है।

    पीड़िता नहीं, समाज शर्मसार हो

    हर बार जब कोई महिला किसी वीडियो में जबरन या धोखे से दिखा दी जाती है, तो समाज उसे कोसने लगता है — जबकि असली दोषी वह नहीं, वह व्यक्ति होता है जिसने उसका वीडियो बनाया, और वे लोग होते हैं जो उसे साझा करते हैं।
    वास्तव में शर्म तो उस समाज को आनी चाहिए जो दूसरों की पीड़ा को ‘क्लिकबेट’ और मज़ा’ समझता है।

    फेसबुक की असफलता: सामुदायिक मानक या बिके हुए नियम?

    फेसबुक दावा करता है कि उसके पास सामुदायिक मानक हैं — जो नफ़रत फैलाने, अश्लीलता परोसने और हिंसा भड़काने वाले सामग्री को रोकते हैं। लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है।
    अगर कोई उपयोगकर्ता कोई राजनीतिक सच्चाई या तीखी भाषा लिख दे, तो उसकी पहचान कुछ मिनट में अवरुद्ध हो जाती है। लेकिन वही मंच घंटों तक अश्लील वीडियो वायरल होते देखने देता है, बिना किसी हस्तक्षेप के।

    क्या यह मान लिया जाए कि फेसबुक की नीति यह है —
    “अगर आप सत्य बोलेंगे तो आप खतरनाक हैं,
    और अगर आप अश्लीलता फैलाएंगे तो आप व्यस्त और उपयोगी उपयोगकर्ता हैं!”

    तकनीक के साथ जिम्मेदारी कहाँ?

    हमें यह समझना होगा कि सोशल मीडिया केवल एक तकनीकी मंच नहीं है, यह अब जनमानस को प्रभावित करने वाला एक सामाजिक ढाँचा बन चुका है। और हर ढाँचे की कुछ जिम्मेदारियाँ होती हैं।

    अगर फेसबुक और अन्य मंचों पर सामग्री निगरानी के नाम पर केवल कृत्रिम बुद्धिमत्ता का सहारा लिया जाएगा, और “रिपोर्ट करें” का विकल्प केवल दिखावा बन कर रह जाएगा, तो यह मंच एक दिन नैतिक रूप से दिवालिया हो जाएगा।

    हम, समाज और हमारी भागीदारी

    अब प्रश्न यह है कि क्या हम केवल फेसबुक को दोष देकर अपने दामन को पाक-साफ़ मान सकते हैं?

    बिलकुल नहीं।
    जब हम स्वयं ऐसे सामग्री को देख रहे हैं, साझा कर रहे हैं या मौन हैं, तो हम भी अपराध में साझेदार बन जाते हैं।

    हमारे बच्चों, बहनों, पत्नियों और समाज की महिलाओं की सुरक्षा केवल कानून से नहीं होगी — बल्कि हमारी मानसिकता से होगी।
    और अगर हम वही मानसिकता पालें जो अपराधियों की होती है — दूसरों की निजता को ताकना, उन्हें वस्तु समझना, उन्हें मानवता से नीचे गिराना — तो फिर हम भी किसी से कम दोषी नहीं हैं।

    समाधान की दिशा में कुछ सुझाव:

    1. डिजिटल नैतिक शिक्षा: विद्यालयों, महाविद्यालयों और नौकरी के प्रशिक्षण केंद्रों में डिजिटल आचार संहिता पर विशेष कक्षाएँ होनी चाहिए।

    2. कड़ा कानून और डिजिटल सतर्कता: अश्लील वीडियो को साझा करने वालों पर सख्त साइबर कानून लागू हों और समय पर कार्रवाई हो।

    3. सोशल मीडिया मंचों की जवाबदेही: फेसबुक जैसी कंपनियों को भारत सरकार के अधीन विशेष निगरानी प्रकोष्ठ में जवाबदेह बनाया जाए।

    4. जन-जागरूकता अभियान: स्वयंसेवी संस्थाओं, लेखकों, पत्रकारों और जागरूक नागरिकों को मिलकर डिजिटल शुचिता पर अभियान चलाने चाहिए।

    सोच बदलनी होगी

    सभ्यता केवल तन से नहीं होती, मन से होती है।
    शब्दों से नहीं, कर्मों से होती है।
    अगर हम अपने ही समाज की बहनों की पीड़ा में लज्जा नहीं, मज़ा ढूंढने लगें — तो यह गिरावट नहीं, मानवता की हत्या है।

    इसलिए यह समय है जब हमें फेसबुक को भी आईना दिखाना होगा और खुद को भी।
    नहीं तो फेसबुक जल्द ही फूहड़बुक में बदल जाएगा, और हम सब उसमें एक-एक कर डूब जाएंगे — बिना किसी पश्चाताप के।

    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleबैंक ऑफ़ इंडिया शाखा के नए परिसर का गोविंदपुर में हुआ उद्घाटन
    Next Article अहिल्यादेवी होलकर: दूरदर्शी एवं साहसी महिला शासक

    Related Posts

    बस्तर ‘माओवाद मुक्त’ या असमय घोषणा?

    May 30, 2025

    मूल्यबोध और राष्ट्रहित बने मीडिया का आधार -प्रो. संजय द्विवेदी

    May 30, 2025

    हिन्दी पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, मिशन बनाना होगा

    May 30, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    बस्तर ‘माओवाद मुक्त’ या असमय घोषणा?

    मूल्यबोध और राष्ट्रहित बने मीडिया का आधार -प्रो. संजय द्विवेदी

    हिन्दी पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, मिशन बनाना होगा

    राष्ट्र संवाद हेडलाइंस

    समाजसेवी और हिंदूवादी नेता जगदीश प्रसाद लोधा का निधन

    स्वर्गीय मोहनलाल अग्रवाल की चतुर्थ पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित

    भाजपा दफ्तर में बैठक के बाद विजय सिन्हा के घर पहुंचे पीएम मोदी, बेटे-बहू को दिया आशीर्वाद

    सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का प्रतिनिधिमंडल निवर्तमान एसएसपी किशोर कौशल एवं नए एसएसपी पीयूष पांडेय से मिला

    जमशेदपुर के आज़ाद नगर में विवाहिता ने की आत्महत्या, पुलिस कर रही है मामले की जांच

    वरीय पुलिस अधीक्षक नेनिरीक्षण के दौरान कई दिशा निर्देश दिए

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.