Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
      • दैनिक ई-पेपर
      • ई-मैगजीन
      • साप्ताहिक ई-पेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » De-Dollarization की संभावना और इसका वैश्विक प्रभाव
    Breaking News Headlines मेहमान का पन्ना राजनीति राष्ट्रीय

    De-Dollarization की संभावना और इसका वैश्विक प्रभाव

    News DeskBy News DeskMay 27, 2025No Comments2 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    De-Dollarization की संभावना और इसका वैश्विक प्रभाव

    **संजय सोंधी, उपसचिव, भूमि एवं भवन विभाग, दिल्ली सरकार**

    वर्तमान में अमेरिकी डॉलर न केवल अमेरिका की मुद्रा है, बल्कि वैश्विक रिजर्व मुद्रा भी है। विश्व व्यापार का लगभग 80% हिस्सा डॉलर में निपटाया जाता है, और सभी केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार का 59% हिस्सा डॉलर में है, जबकि यूरो का हिस्सा मात्र 20% है। विश्व में जारी 64% ऋण पत्र डॉलर में हैं, और 88% विदेशी मुद्रा व्यापार भी डॉलर में होता है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था, जो वैश्विक जीडीपी का 30% हिस्सा है, इसके वित्तीय बाजारों की पारदर्शिता, गहरे ऋण बाजार, और मजबूत राजनीतिक व कानूनी व्यवस्था ने डॉलर को विश्वसनीय बनाया है। अमेरिका द्वारा अपने सहयोगी देशों को सैन्य संरक्षण भी निवेशकों को अमेरिकी ट्रेजरी में निवेश के लिए प्रेरित करता है।

    डॉलर की यह प्रभुता विश्वास पर टिकी है, जो आधुनिक फिएट मुद्रा प्रणाली का आधार है। 1945 से 1971 तक डॉलर सोने से समर्थित था, लेकिन 1971 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस संबंध को समाप्त कर दिया और आयात शुल्क पर 10% अधिभार लगाया, जिससे अराजकता फैली। फिर भी, मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था और तकनीकी प्रगति ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था और डॉलर को और मजबूत किया।

    हालांकि, वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अप्रत्याशित शुल्क नीतियों और अनिश्चित व्यवहार ने अमेरिका की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनेस्को जैसे वैश्विक मंचों से अमेरिका की धीरे-धीरे वापसी और अपने यूरोपीय व एशियाई सहयोगियों को सैन्य संरक्षण न देने की नीति ने डॉलर के प्रति विश्वास को कम किया है। केंद्रीय बैंकरों, नीति निर्माताओं और निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है।

    इस बीच, चीन, जो दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ने वैकल्पिक भुगतान प्रणाली CIPS विकसित की है, जो लोकप्रियता हासिल कर रही है। रूस और चीन मिलकर अमेरिकी वित्तीय प्रभुत्व को तोड़ने के लिए वैकल्पिक प्रणाली बना रहे हैं। कई देश क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता दे रहे हैं, जो डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन सकता है।

    De-Dollarization अब कोरी कल्पना नहीं है; यह जल्द हकीकत बन सकती है। लेकिन चिंता की बात यह है कि कोई अन्य मुद्रा या भुगतान प्रणाली, जैसे SWIFT का विकल्प, अभी डॉलर की जगह लेने को तैयार नहीं है। यह वैश्विक व्यापार और जीडीपी वृद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि विश्वास और स्थिरता बनी रही, तो ही वैश्विक अर्थव्यवस्था इस बदलाव को सहन कर पाएगी।
    [email protected]
    7389254004

    De-Dollarization की संभावना और इसका वैश्विक प्रभाव
    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleराष्ट्र संवाद हेडलाइंस
    Next Article आरजेडी के लिए पारिवारिक संकट या राजनीतिक रणनीति?

    Related Posts

    युगांतर प्रकृति की पर्यावरण प्रतियोगिता की मुख्य अतिथि होंगी अंजिला गुप्ता

    May 28, 2025

    पानी का पक्षपातपूर्ण वितरण रुकेगा, न्यायपूर्ण वितरण होगा

    May 28, 2025

    गौ वंश को बूचड़ खाने से बचाने गौ रक्षा विभाग ने एसएसपी को लिखा पत्र बूचड़ खाने का जारी किया सूची

    May 28, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    युगांतर प्रकृति की पर्यावरण प्रतियोगिता की मुख्य अतिथि होंगी अंजिला गुप्ता

    पानी का पक्षपातपूर्ण वितरण रुकेगा, न्यायपूर्ण वितरण होगा

    गौ वंश को बूचड़ खाने से बचाने गौ रक्षा विभाग ने एसएसपी को लिखा पत्र बूचड़ खाने का जारी किया सूची

    जमशेदपुर में प्रस्तावित नगर निगम मे शामिल किये जाने वाले आदिवासी बहुल क्षेत्रों का विरोध शुरू

    रंभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन में भूतपूर्व छात्रों के साथ बैठक आयोजित

    टाटा स्टील ने विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में रंग-बिरंगे आयोजनों के साथ पर्यावरण के प्रति जागरूकता का किया प्रसार

    अंसार खान के प्रयास से गुलाब बाग फेस 2 में बिजली पोल लगाये गए

    आतंक के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने के भारत के अधिकार को विभिन्न देशों ने मान्यता दी: जयशंकर

    सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध: प्रधानमंत्री मोदी

    उदित राज ने राहुल गांधी के इशारे पर थरूर पर निशाना साधा: भाजपा

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.