मगध परियोजना में फर्जीवाडा कर नियमविरुद्ध फर्जी भुगतान से करोड़ों का नुकसान, कार्रवाई की मांग
टेम्पररी नंबर पर महीनों से खेल, फर्जी भुगतान से सीसीएल को तगड़ा नुकसान
राष्ट्र संवाद संवाददाता
चतरा: भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर केंद्रीय जांच एजेंसी कार्रवाई करने में जुटी है। एजेंसी द्वारा भ्रष्टाचार पर लोगों से शिकायत करने की अपील की जा रहे हैं। वही दूसरी और ताजा मामला सीसीएल के मगध परियोजना में एक विभाग के अधिकारियों रिश्वतखोरी पर कई फर्जीवाड़ा का करके लाखों रुपया रसों का नुकसान लग रहे हैं। सीसीएल के मगध-संघमित्रा कोल परियोजना क्षेत्र में ईएंडएम की लापरवाही से वाहन पंजीकरण नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दर्जनों वाहन महीनों से टेम्पररी नंबर पर दौड़ रहे हैं, जबकि नियमानुसार एक माह के भीतर स्थायी पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इससे क्षेत्र में न केवल सुरक्षा जोखिम बढ़ा है, बल्कि कंपनी की साख भी दांव पर लग गई है। सूत्रों के अनुसार, एसओ (ईएंडएम) नलिन चंद ने अपने चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रख कर काम कर रहें है। दर्जनों वाहन हायर किए गए है, लेकिन क्षेत्र में किस-किस विभाग व जीएम विभाग के लिए कितने वाहन हायर किए गए हैं यह पत्र जारी करते हुए स्पष्ट नहीं किया गया है। नलिन चंद ने अपने निजी लाभ के लिए कुछ चहेतों को भी वाहन हायर किया है। और उनका फर्जी भुगतान भी धड़ल्ले से जारी है। इस फर्जी भुगतान से सीसीएल को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस गंभीर वित्तीय गड़बड़ी ने प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। मगध-संघमित्रा क्षेत्र के एएफएम से टेम्पररी नंबर पर भुगतान से संबंधित हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि एसओ ईएंडएम को लिखित देकर जानकारी मांगी गई है, जबाब मिलने पर ही बता पाएगा।
वाहन मालिकों को अंतिम चेतावनी
विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग द्वारा जारी पत्र (संख्या: एसओ (ईएंडएम)/एम-एस/एलआर/24-25/254) के तहत वाहन मालिक शैलेन्द्र कुमार सिंह, सनराइज समूह, रोहित कुमार केशरी, सुरेन्द्र सिंह, शतिश इंटरप्राइजेज और नवीन कुमार सिंह को सात दिनों के भीतर स्थायी पंजीकरण कराने का निर्देश दिया गया है। चेतावनी दी गई है कि समय सीमा समाप्त होते ही अस्थायी नंबर वाले वाहनों का परिचालन रोक दिया जाएगा और निविदा शर्तों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। जानकार बताते है कि परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार, टेम्पररी नंबर की वैधता अधिकतम एक माह है। इसके बावजूद मगध-संघमित्रा क्षेत्र में महीनों से नियमों का उल्लंघन हो रहा है। बिना स्थायी पंजीकरण के परिचालन से न केवल दुर्घटना की आशंका बढ़ती है, बल्कि आपराधिक घटनाओं के समय वाहन पहचान में भी गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। यदि समय रहते अनियमितताओं पर रोक नहीं लगी, तो भविष्य में बड़ी दुर्घटनाओं और प्रशासनिक संकट से इंकार नहीं किया जा सकता। गौरतलब हो कि प्रबंधन की अनदेखी अब खतरे की घंटी बन चुकी है। जब सुरक्षा मानकों और नियमों का इस हद तक मखौल उड़ाया जाए कि अस्थायी पंजीकरण पर वाहन महीनों तक दौड़ें और फर्जी भुगतान से कंपनी को करोड़ों का नुकसान हो, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का संकेत है। अगर सीसीएल प्रबंधन ने समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की, तो भविष्य में इसका खामियाजा न केवल कंपनी को, बल्कि क्षेत्र के आम लोगों को भी भुगतना पड़ेगा।