टुंडी सीट पर झामुमो की होगी अग्निपरीक्षा
देवानंद सिंह
झारखंड विधानसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है। अब तीसरे चरण के मतदान के लिए प्रत्याशियों ने कमर कस ली है। जिस प्रकार शुरूआती दो चरणों में मतदाता मताधिकार का प्रयोग करने के लिए काफी संख्या में घरों से बाहर निकले हैं, उससे यह बात साफ जाहिर होती है कि तीसरे चरण में मतदाता काफी संख्या में घरों से बाहर निकलकर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसीलिए तीसरे चरण का चुनाव भी रोमांचक होने जा रहा है, इसमें टंुडी विधानसभा सीट का चुनाव अति प्रतिष्ठा वाला रहेगा। वह भी झामुमो के लिए।
वैसे तो यहां से आजसू का विधायक है, लेकिन यह सबसे बड़ा नाक का सवाल झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के लिए है। वह झारखंड आंदोलन के पुरोधा रहे हैं और टुंडी से ही उन्होंने इस आंदोलन की शुरूआत की थी, लेकिन यह अलग बात है कि वह इस सीट से चुनाव नहीं जीत पाए हैं। निश्चित ही, अपनी राजनीतिक जन्मभूमि से चुनाव नहीं जीत पाना किसी भी राजनेता के लिए नाक का सवाल तो होता ही है। लिहाजा, इस चुनाव में झामुमो अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में है। उधर, आजसू अपनी विधायिकी यहां से खोना नहीं चाहेगी। बीजेपी और अन्य पार्टियां भी दमदारी के साथ चुनाव मैदान में हैं।
यहां मतदाताओं की बात करें तो कुल 2 लाख 75 हजार 381 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 45 हजार 658 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 29 हजार 723 है। यहां जातीय समीकरण भी काम करते हैं, इसीलिए चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों को अगर जीत दर्ज करनी है तो अपने जातीय समीकरणों के गणित का संतुलन बैठना बेहद जरूरी होगा।
दूसरा, यह नक्सलवाद से भी जूझ रहा है। इस फैक्टर में कैसे प्रत्याशी को अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करानी है, इसका भी उन्हें पूरा ध्यान रखना पड़ेगा। झामुमो प्रमुख भले ही यहां से चुनाव नहीं जीत पाए हैं, लेकिन उनकी पार्टी की उपस्थिति यहां हमेशा ही अच्छी रही है, लेकिन उनकी पार्टी का कोई आदिवासी प्रत्याशी यहां से जीत दर्ज नहीं कर सका। इसीलिए निश्चित ही यह झामुमो के लिए चिंता का विषय हमेशा से ही बना रहा, जबकि दो दशक से भी अधिक समय से झामुमो प्रमुख के लिए यह उनका प्रमुख राजनीतिक गढ़ रहा है। उन्होंने यहां से अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत करते हुए 1977 में टुंडी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह सीट नहीं निकाल पाए। हारने के बाद भी शिबू सोरेन ने अपने आंदोलन की धार को कभी कम नहीं किया, लेकिन जीत उनके पाले में नहीं आई, लेकिन झारखंड आंदोलन में शिबू सोरेन के साथ रहे बिनोद बिहारी महतो यहां से दो बार इस सीट से जीत दर्ज कर विधायक बने।
फिलहाल, उनके पुत्र राजकिशोर महतो यहां के विधायक हैं। वह 2०14 में आजसू के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते थे। एक बार से फिर यहां से वह चुनाव मैदान में हैं। झामुमो जहां, अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि की दुहाई देकर मतदाताओं के बीच है तो आजसू उनके विधायक राजकिशोर महतो के कार्यकाल में किए गए कार्यों के नाम पर वोट मांग रही है। आजसू विधायक के कार्यकाल में यहां, जो मुख्य कार्य हुए हैं, उनमें डिग्री कॉलेज के भवन का निर्माण, विद्युत सब-स्टेशन का निर्माण व बराकर नदी पर पुल का निर्माण कार्य शामिल हैं। मुख्य रूप से जो काम नहीं हो पाए हैं, उनमें राजगंज प्रखंड का न बनना, हाईस्कूल भवन का काम वर्षों से लंबित होना, व ठप पड़ी हाथी कॉरिडोर योजना मुख्य रूप से शामिल है।
इस संबंध में विधायक राजकिशोर महतो कहते हैं कि पहली बार उग्रवाद प्रभावित प्रखंड में सरकारी डिग्री कॉलेज स्वीकृत कराया। एकलव्य विद्यालय व मॉडल हाइस्कूल बनवाए। डोमनपुर से कोलहर तक घनघोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सड़क बनवाई। मेधा जलापूर्ति योजना शुरू हुई। वहीं, पूर्व विधायक मथुरा प्रसाद महतो कहते हैं कि वर्तमान विधायक को जनता के सुख-दु:ख से कोई मतलब नहीं। वह जनता से हमेशा दूरी बना कर रहे, जिसका खामियाजा उन्हें आने वाले चुनाव में भुगतना पड़ेगा। पिछले पांच वर्षों के दौरान टुंडी क्षेत्र में विकास कार्य ठप रहा।
यहां अब तक हुए चुनाव परिणामों की बात करें तो 2००5 विधानसभा चुनाव में झामुमो के प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो ने चुनाव जीता था। उन्होंने कुल 52 हजार 112 मत हासिल किए थे, जबकि दूसरे नबंर पर राजद प्रत्याशी सबा अहमद रहे थे, जिन्होंने 26 हजार 175 मत प्रा’ किए थे। वहीं, तीसरा स्थान भाजपा प्रत्याशी सुभाष चटर्जी का रहा था, जिन्हें 21 हजार 5०1 वोट मिले थे। वर्ष 2००9 में हुए चुनाव परिणामों की बात करें तो तब भी जीत झामुमो प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो के ही पाले में गई थी। इस विधानसभा चुनाव में उन्हें 4० हजार 787 वोट मिले थे, वहीं झाविमो प्रत्याशी सबा अहमद को 39 हजार 869 मत मिले थे। इस चुनाव में भी भाजपा तीसरे स्थान पर रही थी, जिसके प्रत्याशी प्रदीप कुश अग्रवाल को कुल 23 हजार 199 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। 2०14 के विधानसभा चुनाव में यहां पांसा बदला और जीत आजसू के पाले में चली गई। आजसू प्रत्याशी राज किशोर महतो को कुल 55 हजार 466 मत मिले, जबकि दूसरे स्थान पर रहे झामुमो प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो को 54 हजार 34० वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे झाविमो प्रत्याशी सबा अहमद को 45 हजार 229 वोट मिले।
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