जामताड़ा प्रखंड प्रमुख के खिलाफ पंचायत समिति सदस्यों ने खोला मोर्चा, अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दिया आवेदन
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जामताड़ा प्रखंड में सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और प्रखंड प्रमुख लुखीमनी सोरेन की मनमानी के खिलाफ पंचायत समिति के सदस्यों ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है। इस विरोध की परिणति अब अविश्वास प्रस्ताव के रूप में सामने आई है। गुरुवार को प्रखंड प्रमुख के खिलाफ पंचायत समिति सदस्यों ने मोर्चा खोलते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी। इस संबंध में पंचायत समिति सदस्यों ने एक लिखित आवेदन जामताड़ा के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) प्रवीण चौधरी को सौंपा और जल्द से जल्द अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी करने की मांग की। पंचायत समिति सदस्यों ने अपने आवेदन में प्रखंड प्रमुख लुखीमनी सोरेन पर सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। आवेदन में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि प्रखंड प्रमुख योजनाओं को स्वीकृत करने के एवज में पैसों की मांग करती हैं। पंचायत समिति सदस्यों का आरोप है कि जो व्यक्ति अधिक पैसा देता है, उसे ही सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाता है। इतना ही नहीं, सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि योजनाओं को लागू करने के लिए भी अवैध वसूली की जाती है, जिससे क्षेत्र में विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। पंचायत समिति सदस्यों ने अपने आवेदन में एक और गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रखंड प्रमुख मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं और उनके स्थान पर उनके पति सभी कार्यों का संचालन कर रहे हैं। सदस्यों का कहना है कि एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुने गए प्रतिनिधि को स्वयं अपने कार्यों का संचालन करना चाहिए, न कि किसी अन्य व्यक्ति को सत्ता में हस्तक्षेप करने देना चाहिए।आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि सोनबाद पंचायत की पंचायत समिति सदस्य फूल कुमारी टुडू और बेवा पंचायत समिति सदस्य रामवती मरांडी की योजना संबंधी फाइलों को स्वीकृति देने के लिए पैसों की मांग की गई थी। इस प्रकार, विकास कार्यों में पारदर्शिता की कमी और खुलेआम भ्रष्टाचार की शिकायतें पंचायत समिति के सदस्यों द्वारा दर्ज कराई गई हैं।यह पहली बार नहीं है जब प्रखंड प्रमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इससे पहले, झारखंड के पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे। बीते दिनों उन्होंने जामताड़ा के पुराने कोर्ट परिसर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जिले में विशेष रूप से प्रखंड स्तर पर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है और कमीशनखोरी अब एक आम प्रथा बन गई है। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो वे इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे। जब इस मामले में जामताड़ा के बीडीओ प्रवीण चौधरी से बात की गई, तो उन्होंने पुष्टि की कि पंचायत समिति सदस्यों द्वारा प्रखंड प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए आवेदन सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी उचित जांच की जाएगी और नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रखंड प्रमुख के खिलाफ उठे इस अविश्वास प्रस्ताव से पूरे क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। पंचायत समिति के सदस्य पूरी तरह से एकजुट नजर आ रहे हैं और वे जल्द से जल्द अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराकर प्रखंड प्रमुख को पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पूरे मामले पर क्या निर्णय लेता है और क्या जामताड़ा में भ्रष्टाचार के आरोपों की सच्चाई सामने आ पाती है या नहीं। जामताड़ा प्रखंड में चल रही इस सियासी हलचल से स्पष्ट है कि सरकारी योजनाओं के संचालन में गड़बड़ियों को लेकर स्थानीय प्रतिनिधियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। पंचायत समिति सदस्यों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों से यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है। अब सभी की नजरें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं, जिससे यह स्पष्ट होगा कि प्रखंड प्रमुख पर लगे आरोपों में कितनी सच्चाई है और क्या वाकई जामताड़ा में भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।