भारत ने यूरोप की तरह किसी देश की संस्कृति को नष्ट नहीं किया- आरएसएस विचारक सुरेश सोनी
राष्ट्र संवाद संवाददाता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह और प्रख्यात चिंतक श्री सुरेश सोनी ने कहा कि जब भारतीय संस्कृति के हिन्द महासागर क्षेत्र, दक्षिण-एशिया और दुनिया के दूसरे देशों पर प्रभाव की बात करते हैं, तो वह यूरोप के प्रभाव की तरह नहीं है। यूरोपीय देश जहां गए, उन्होंने वहां की संस्कृति को, वहां के लोगों की स्वतंत्रता को नष्ट कर दिया। लेकिन भारतीय जहां गए, उन्होंने अपनी ज्ञान परम्परा से वहां के लोगों के जीवन को, उनकी संस्कृति को समृद्ध किया। वहां की किसी चीज का विनाश नहीं किया। इसलिए वहां के लोगों में आज भी भारत के प्रति आदर का भाव दिखाई देता है। सुरेश सोनी ने यह बात केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की अंतरराष्ट्रीय पहल ‘प्रोजेक्ट मौसम’ के तहत इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ‘मानसून: द स्फीयर ऑफ कल्चरल एंड ट्रेड इन्फ्लुएंस’ के समापन समापन समारोह में कही। सेमिनार का आयोजन एसजीटी विश्वविद्यालय के एडवांस स्टडी इंस्टीट्यूट ऑफ एशिया के सहयोग से किया गया। समापन सत्र में आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और ‘एशिया’ के शोध निदेशक प्रो. अमोघ राय भी उपस्थित रहे।
सुरेश सोनी ने आगे कहा, “एक बार नोबल पुरस्कार विजेता वी.एस. नायपॉल जीवन में पहली बार दक्षिण-पूर्व एशिया की यात्रा करते हुए भारत आए और जो कुछ वहां (दक्षिण-पूर्व एशिया) उन्होंने देखा, उसका उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने दिल्ली में एक मीटिंग में कहा कि आमतौर पर सारा विश्व भारत को जो समझता है, वह पिछले ढाई सौ साल में जो लिखा गया है, उसके आधार पर समझता है। और, उसमें ज़्यादातर जो लिखा गया है, वह भारत की सही छवि नहीं पेश करता। लेकिन पिछले ढाई हज़ार साल में जो लिखा गया है, उसको अगर सामने लाया जाता है, तो उसमें से भारत का सही चित्र उभरकर सामने आएगा।”
गौरतलब है कि इस सेमिनार ने समुद्री संपर्कों के माध्यम से हिंद महासागर के देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की खोज करते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में व्यापार, परंपराओं और संबंधों को आकार देने में भारत की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया। इस दो दिवसीय सेमिनार का शुभारम्भ केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया था। दो दिनों में कुल 38 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इस दौरान तीन शोधपत्रों को पुरस्कृत भी किया गया।
कार्यक्रम के अंत में आईजीएनसीए के प्रोजेक्ट मौसम के निदेशक डॉ. अजीत कुमार ने अतिथियों, वक्ताओं और आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।