क्या बढ़ती जा रही कांग्रेस और ‘आप’ के बीच तकरार?
देवानंद सिंह
दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच के रिश्ते पिछले कुछ समय से तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। यह तनाव अब सीधे तौर पर सामने आ चुका है, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला। इस हमले के बाद, केजरीवाल ने भी पलटवार किया और इसे अपनी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश बताया। दोनों नेताओं के बीच का यह बकायदा केवल दिल्ली की राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह 2029 के लोकसभा चुनावों और देश की राजनीतिक दिशा को लेकर आने वाली चुनौती का संकेत भी है।
दरअसल, राहुल गांधी ने सीलमपुर में आयोजित एक रैली के दौरान अरविंद केजरीवाल की आलोचना करते हुए उन्हें बीजेपी के जैसा बताया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली को साफ करने, भ्रष्टाचार खत्म करने और पेरिस बनाने का वादा किया था, लेकिन अब स्थिति यह है कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ गया है और लोग बीमार हो रहे हैं। राहुल गांधी ने केजरीवाल को मोदी जैसा झूठे वादे करने वाला बताया। इसके अलावा, राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भी केजरीवाल और मोदी दोनों पर निशाना साधा। राहुल गांधी का यह बयान दिल्ली की राजनीति को एक नई दिशा देने वाला लगता है। यब बात उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और आप दोनों एक ही गठबंधन का हिस्सा हैं, जो केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट हुआ था, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है कि दोनों दलों के बीच की दरार अब सार्वजनिक हो गई है।
अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी के हमले का जवाब अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दिया। उन्होंने लिखा, राहुल गांधी ने उन्हें “गाली” दी, लेकिन वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य देश को बचाना है, जबकि राहुल गांधी की लड़ाई कांग्रेस को बचाने की है। केजरीवाल का यह बयान उनकी राजनीति के केंद्रीय मुद्दे को दर्शाता है। उनका मानना है कि उनका उद्देश्य केंद्र में मोदी सरकार के खिलाफ लड़ाई है, जबकि राहुल गांधी की पूरी ऊर्जा अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने में लग रही है। केजरीवाल का यह जवाब विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दिल्ली में उनकी पार्टी को सत्ता में बने रहने के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी छवि को मजबूत बनाए रखें और बीजेपी के खिलाफ अपनी विरोधी राजनीति को उभारे रखें। हालांकि, उनके आरोपों में भी एक सच्चाई है कि कांग्रेस पार्टी की स्थिति इस समय कमजोर है और वह अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को फिर से पाने के लिए संघर्ष कर रही है।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच का यह टकराव सिर्फ दिल्ली की राजनीति तक सीमित नहीं है। यदि, हम इतिहास में जाएं, तो कांग्रेस और आप के बीच का रिश्ता हमेशा ही जटिल रहा है। आप ने दिल्ली में 2013 में कांग्रेस से सत्ता छीनी थी और उसके बाद से दोनों पार्टियां एक-दूसरे के विरोधी बन गईं। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच एक गठबंधन की कोशिश की गई थी, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो पाया। फिर भी, दोनों दलों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति थी, जैसे मोदी सरकार के खिलाफ एकजुटता, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। दिल्ली में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं और यह स्थिति न केवल दिल्ली, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनावों पर भी असर डाल सकती है। या यूं कहें कि यह लड़ाई केवल दिल्ली की नहीं है, बल्कि भविष्य में विपक्षी नेता के रूप में कौन उभरता है, इसकी है। यदि, केजरीवाल की राजनीति का ग्राफ बढ़ता है, तो वह राहुल गांधी के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकते हैं, खासकर अगर कांग्रेस दिल्ली में तीसरी बार भी अपनी सीटें नहीं जीत पाई तो।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा किए गए बयानों से यह स्पष्ट है कि पार्टी के भीतर भी आप के खिलाफ नाराजगी है। यह इसीलिए, क्योंकि केजरीवाल ने दिल्ली में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है और उनके नेता और विधायक भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे हुए हैं। यह बयान कांग्रेस की तरफ से केजरीवाल के खिलाफ खोला गया एक नया मोर्चा है। दूसरी तरफ, दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में बेहद कमजोर हो गई है। 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। कांग्रेस को दिल्ली में जो सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, वह आम आदमी पार्टी से ही हुआ है। आप ने कांग्रेस को केवल दिल्ली में नहीं, बल्कि पंजाब और गुजरात में भी बड़ी चुनौती दी है, जहां कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ है।
कांग्रेस और आप के बीच बढ़ती दरार के बावजूद, दोनों दल एक बड़ा लक्ष्य साझा करते हैं और वह लक्ष्य है, बीजेपी को सत्ता से बाहर करना, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या 2029 में कांग्रेस और आप दोनों एक साथ खड़े होंगे या फिर दोनों अपने-अपने रास्ते पर चलेंगे? वर्तमान में ये दोनों दल एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति में किसी न किसी गठबंधन की संभावना हो सकती है। केजरीवाल को अपनी राजनीतिक जमीन को बनाए रखने के लिए दिल्ली में सत्ता बचाए रखना जरूरी है। वह राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश करेंगे, हालांकि कांग्रेस के लिए यह चुनौती और भी बड़ी होगी, क्योंकि यदि आप दिल्ली में और अधिक सीटें जीतती है, तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका होगा, खासकर अगर वह तीसरी बार भी दिल्ली में अपनी सत्ता को नहीं बचा पाती है।
कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच का टकराव दिल्ली की राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। दोनों दलों के नेता अपनी-अपनी पार्टी की छवि को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले सालों में ये तकरार और बढ़ सकती है। कांग्रेस को अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को पुनः प्राप्त करने के लिए केजरीवाल से जूझना पड़ेगा, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठेगा कि 2029 के लोकसभा चुनावों में कौन विपक्ष का नेतृत्व करेगा। ऐसे में, दिल्ली की राजनीति में हो रहे इस टकराव को न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए एक संकेत के रूप में देखा जा सकता है।