श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में जमशेदपुर (झारखंड) की पांच महिला साहित्यकारों को मिला सम्मान
राष्ट्र संवाद संवाददाता
अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था सोशल एंड मोटिवेशनल ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित एक साझा काव्य संग्रह ‘श्रीराम के गुणगान’ का विमोचन, काव्य पाठ एवं सम्मान समारोह प्रभु श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में स्थानीय वेदांती निलयम के सभागार में एक भव्य समारोह के रूप में आयोजित की गई। समारोह दो सत्रों में था। प्रथम सत्र उद्घाटन एवं सम्मान समारोह के रूप में था। जिसमें मुख्य अतिथि भारतीय वन सेवा अधिकारी मनीष अरविंद, विशिष्ट अतिथियों में साहित्यकार विजय रंजन, पंकज झा, संस्था के संस्थापक रविंद्र नाथ सिंह एवं अध्यक्ष ममता सिंह, राष्ट्रीय सलाहकार वयोवृद्ध प्रमिला भारती मंचासीन थीं। इस सत्र का संचालन आरती झा आद्या जी ने बखूबी किया। इसी सत्र में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए सभी साहित्यकारों को पगड़ी, अंगवस्त्र, माला और स्मृति चिन्ह देखकर सम्मानित किया गया।
जमशेदपुर (झारखंड) की पांच महिला साहित्यकारों डॉ. अनिता निधि, नीता सागर चौधरी, चंदा कुमारी, नीलम पेड़ीवाल और पूनम सिंह को “श्री जनक नंदिनी सहित्य शिल्पी सम्मान” से और उनकी साहित्यिक कृतियों एवं गतिविधियों के लिए सम्मानित किया गया। इस सत्र में नीता सागर चौधरी द्वारा प्रस्तुत नृत्य “ठुमक चलत रामचंद्र” ने पूरे सभागार को सम्मोहित कर दिया।
दूसरा सत्र काव्य पाठ सत्र था, जिसका प्रारंभ नीलम पेड़ीवाल के आकर्षक नृत्य “पधारो म्हारे देश” से आरंभ हुआ और इस सत्र में उपस्थित सभी साहित्यकारों ने अपने काव्य के द्वारा राम की स्तुति की। किसी ने वीर रस पर तो किसी ने श्रृंगार रस पर कविता सुनायी। डॉक्टर अनिता निधि ने ‘राम का दर्द’, नीता सागर चौधरी ने ‘ये पुरुष’, चंदा कुमारी ने ‘अयोध्या के श्रीराम’ , नीलम पेड़ीवाल ने श्री राम के ऊपर दोहा और चौपाई सुनायी तो पूनम सिंह ने “राम सबके मन में है” सुना कर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। इस सत्र का संचालन डॉक्टर रामप्रवेश पंडित एवं अर्चना झा ‘हिना’ ने बहुत सफलता पूर्वक और आकर्षक ढंग से किया। आचार्य धनंजय पाठक ने बड़े अनूठे काव्यात्मक ढंग से धन्यवाद ज्ञापन किया जिसमें उपस्थित सभी साहित्यकारों के नाम समाहित थे। पूरा वातावरण भक्तिमय और राममय हो गया था। इस कार्यक्रम को सफलता के शिखर पर पहुंचने में रविंद्र नाथ सिंह ममता सिंह रथींद्रनाथ झा एवं आर.डी. शर्मा का विशेष योगदान रहा।