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    “बाबा नाम केवलम् ” कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है

    Devanand SinghBy Devanand SinghDecember 2, 2024No Comments4 Mins Read
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    “बाबा नाम केवलम् ” कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है

    आनंद मार्ग प्रचारक संघ के कीर्तनीय संस्था हरि परिमंडल गोष्ठी की ओर से कीर्तन गायन प्रतियोगिता का आयोजन गदरा आनंद मार्ग जागृति में किया गया ।इस कार्यक्रम में शहर के लगभग 20 से भी ज्यादा मंडलियों ने भाग लिया। पारितोषिक वितरण तीन स्तरों पर इनका चयन किया गया था ।सर्वोत्तम, उत्तम एवं अति उत्तम। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है की समाज में तामसिक भाव एवं राजसिक भाव प्रबल हो रहा है ।

     

    लोग इसके प्रभाव में आकर लोगों का भौतिकता की तरफ काफी झुकाव बढ़ रहा है इससे तामसिक एवं राजसिक भाव में संतुलन लाने के लिए इस तरह का आयोजन किया जाता है ताकि लोग आध्यात्मिक भाव से कीर्तन करें कीर्तन करने से होता है क्या जो भी कीर्तन करते हैं सामूहिक कीर्तन करते हैं तो केवल लोगों की शारीरिक शक्ति ही एकत्र नहीं होती है सभी लोगों की मानसिक शक्ति सभी एक ही भाव धारा में बहने लगती है और एक सकारात्मक सात्विक ऊर्जा का संचार होता है जिससे उस कार्यक्रम में भाग लेने वाला का तो आध्यात्मिक एवं मानसिक स्तर पर कल्याण होता ही है साथ ही आसपास में रहने वाले लोग भी सकारात्मक ऊर्जा का लाभ उठाते हैं।

     

    लोगों को भक्ति भाव के विषय में बताते हुए आचार्य नभतीतानंद अवधूत ने कहा कि हरि का कीर्तन करने से कार्य की तामसिकता कम हो जाती है इसलिए कोई भी काम में जाने से पहले 5 मिनट कीर्तन करके जाएं।अनन्य भाव का कीर्तन है “बाबा नाम केवलम् ” कीर्तन
    कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है ।कीर्तन हमें ईश्वर के साथ गहरे संबंध बनाने और अपने आन्तरिक शक्ति को प्रकट करने में सहायता करता है।
    कीर्तन द्वारा हम संकल्पनाशक्ति, विचारशक्ति और कार्यशक्ति को जागृत करते हैं, जो हमें सफलता, आनंद और समृद्धि की ओर अग्रसर करते हैं।

     

    ईश्वर की प्राप्ति के सुगम साधन कीर्तन है।

    कीर्तन, भक्ति और ध्यान का अद्वितीय माध्यम है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति ईश्वर के साथ गहरा संवाद स्थापित कर सकता है। उन्होंने ने बताया कि कीर्तन की शक्ति व्यक्ति को अविरल ध्यान, स्थिरता और आनंद की अनुभूति देती है। यह एक अद्वितीय विधि है जो हमें मन, शरीर और आत्मा के संगम के अनुभव को आदर्श दर्शाती है।

    कीर्तन से हम अपने मन को संयमित कर सकते हैं और इंद्रियों के विषयों के प्रति वैराग्य की प्राप्ति कर सकते हैं। यह हमें अविरल स्थिति में रहने की क्षमता प्रदान करता है और हमारे जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वपूर्णता के साथ भर देता है।

    उपस्थित आदर्शवादियों को यह संदेश दिया कि कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है, जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है। यह हमें ईश्वर के साथ गहरे संबंध बनाने और अपने आन्तरिक शक्ति को प्रकट करने में सहायता करता है।

     

     

     

    कीर्तन एक साधना है जो हमें समाज के बंधनों से मुक्त करती है और हमारी आत्मिक एवं मानसिक स्वतंत्रता का अनुभव कराती है। यह हमें प्रेम, सहानुभूति और एकाग्रता की अनुभूति कराता है, जो हमारे जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है।

    कीर्तन हमें सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है। यह हमारे मन को परम शांति की अवस्था में ले जाता है, जहां हम ईश्वरीय प्रेम और आनंद का अनुभव करते हैं। इसके माध्यम से हम अपने अंतरंग जगत को शुद्ध करते हैं और आनंदमय जीवन का आनंद उठा सकते हैं।

    कीर्तन एक विशेष तरीका है जिसके माध्यम से हम समस्त जगत के साथ सामरस्य और सामंजस्य का अनुभव कर सकते हैं। यह हमें एक साथी बनाता है जो हमें ईश्वर के साथ अनन्य रूप से जोड़ता है और हमें सबके प्रति प्रेम और सेवा की भावना से प्रेरित करता है। इस प्रकार, कीर्तन हमें अद्वैत संबंध अनुभूति दिलाता है, जहां हम सभी में ईश्वर का दिव्य आत्मा का पहचान करते है।

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