गढ़वा: गढ़वा विधानसभा क्षेत्र के लिए नामांकन के दूसरे दिन निर्वाचन कार्यालय में अजीबोगरीब मामला सामने आया. नामांकन पत्र खरीदने पहुंचे शिवसेना प्रत्याशी मनीष कुमार गुप्ता ने जब नामांकन पत्र खरीदने के लिए निर्धारित शुल्क 10 हजार रुपए में से 6300 एक-एक रुपए का सिक्का दिया, तो ड्यूटी पर तैनात नजारतकर्मी के पसीने छूट गए.कर्मियों ने जब सिक्का लेने से इनकार कर दिया तो नाजिर अमित कुमार ने आरओ से सलाह ली. आरओ प्रदीप कुमार के निर्देश पर नाजिर को सिक्का लेने पड़े. गुरुवार को यह मामला दिनभर चर्चा में रहा. मनीष ने बताया कि वह विधानसभा चुनाव लड़ने की तमन्ना लेकर नामांकन पत्र खरीदने आए हैं. सिक्का लेने के बाद कर्मियों को उनकी गिनती करने में हाथ-पांव फूलने लगे. मनीष ने बताया कि वह बचपन से ही चुनाव लड़ना चाहते थे. इसके पहले वर्ष 2014 में भी उसने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी किस्मत आजमाई थी.चुनाव हारने के बाद से ही 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी. मनीष ने बताया कि वह गरीब परिवार से हैं और चुनाव लड़ने के लिए प्रतिदिन अपनी कमाई का एक हिस्सा जमा कर रहे थे. पांच साल के अंदर उन्होंने एक लाख दस हजार रुपए एक-एक सिक्का से जमा किया है. वह नामांकन पत्र खरीदने के लिए 6300 सिक्के लेकर आए जबकि बाकी राशि चुनाव के दौरान खर्च करेंगे.मनीष ने बताया कि जबसे नोटबंदी हुई है, उसके बाद से एक-एक का सिक्का लोग लेने से कतराते हैं. उसी सिक्के को उन्होंने प्रतिदिन जमा करना शुरू किया. नामांकन पत्र देने से पहले नजारत के सभी कर्मी सिक्के गिनने में लगे रहे. हजारों सिक्कों की गिनती में नजारत कर्मियों को खासा पसीना बहाना पड़ा. उन्होंने बताया कि नोट गिनने की मशीन तो उपलब्ध है परंतु सिक्के गिनने की मशीन नहीं है जिस कारण उनकी परेशानी बढ़ गई है. सिक्के मान्य हैं और उन्हें प्रत्याशी को वे वापस भी नहीं कर सकते.