नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इनकम टैक्स के बाद अब GST में DIN यानी डॉक्युमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर को लागू कर दिया है. देश के बिजनेसमैन के हितों की सुरक्षा के लिए ये कदम उठाया गया है. CBIC के आदेश के मुताबिक, DIN का इस्तेमाल उन GST मामलों में होगा, जिनकी इन्क्वायरी चल रही है और उनमें अरेस्ट और सर्च वारंट जारी हो चुका है. CBIC के मुताबिक, 8 नवंबर के बाद जो भी कागज जारी होगा उस पर DIN देना जरूरी है.
अब क्या होगा- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय की पहल के बाद इसे शुरू किया जा रहा है. अब विभाग से जारी हर नोटिस पर कंप्यूटर जेनरेटेड डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) होगा. साथ ही, अब नए फैसले के तहत अब ये नंबर टैक्सपेयर्स को मिले वाले सभी डॉक्युमेंट पर भी जरूरी हो गया है. यह सिस्टम टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी.
टैक्स डिपार्टमेंट अब जो नोटिस जारी करता है उसमें DIN कंप्यूटर जेनरेटेड डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है. अगर किसी भी नोटिस पर ये नंबर नहीं है तो वो वैलिड नहीं है. बिना DIN के मान्य नहीं होगा नोटिस- राजस्व सचिव डॉ. अजय भूषण पांडेय का कहना है कि इनडायरेक्ट टैक्स पर सरकार में सबसे पहले DIN का उपयोग किसी भी जांच प्रक्रिया के दौरान जारी समन, तलाशी के लिए अधिकृत करने, गिरफ्तारी पत्रक, जांच नोटिस और पत्रों के लिए किया जाएगा.
अब से जीएसटी और सीमा शुल्क अथवा केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में भी होगा. अगर कम्प्यूटर जनरेटेड डिन के बिना ही कोई पत्र-व्यवहार करता है तो वह अमान्य होगा. यह कानूनन गलत होगा अथवा ऐसा समझा जाएगा कि इसे कभी जारी ही नहीं किया गया है.
DIN के फैसले सभी तरह के पत्र-व्यवहार की समुचित ऑडिट जानकारियों को सही तरीके से डिजिटल डायरेक्टरी में स्टोर किया जा सकेगा.
DIN वाले सभी निर्दिष्ट पत्र-व्यवहार का सत्यापन ऑनलाइन पोर्टल cbicddm.gov.in पर हो सकेगा.5 नवम्बर, 2019 को जारी डिन संबंधी सर्कुलर के अनुसार अगर दिशा-निर्देशों के मुताबिक, नोटिस जारी नहीं होता है तो वो मान्य नहीं होगा.