जब आपकी अभिव्यक्ति के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं, तो राष्ट्रसंवाद जैसी पत्रिकाएं, आपकी अभिव्यक्ति की आजादी को संरक्षित करने का काम करती हैं: संजय मिश्र स्थानीय संपादक प्रभात खबर
एक समाचार पत्रिका राष्ट्रसंवाद तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 25 साल पूरा करने की सूचना मात्र सूचना भर नहीं है। इस सूचना के पीछे एक पत्रकार का जुनून है। अन्यथा वह क्या चीज है, जो पत्रकार को भूखे पेट रहकर, तमाम दुश्मनियों को निभाते हुए सच कहने के लिए अकेले भी खड़े होने की ताकत मिलती है। राष्ट्रसंवाद का क्या मतलब है। यह बताना आज के लिए बहुत ही जरुरी है. जब आपकी अभिव्यक्ति के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं, तो राष्ट्रसंवाद जैसी पत्रिकाएं, जिन्हें बहुजन छोटी पत्रिकाएं बोलकर संबोधित करती हैं, आपकी अभिव्यक्ति की आजादी को संरक्षित करने का काम करती हैं।
अब आप पूछिए कि अभिव्यक्ति की आजादी का आजाद देश में क्या महत्व है। इस महत्व को समझाने के लिए आपको 12 जनवरी 2018 का वह दिन याद दिलाना चाहूंगा, जब सर्वोच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने संवाददाता सम्मेलन बुलाकर भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ मोर्चा खोला था। जरा सोचिए, न्याय देने वाले, न्याय पाने के लिए किसके सामने आए, जवाब में आप बोलिएगा-प्रेस के सामने। बस, अभिव्यक्ति की इसी आजादी को बचाने में राष्ट्रसंवाद ने अपने जीवन के 25 साल खपा दिए है।
यह अपने संघर्ष पर उत्सव मनाने का दिन है। अपनी उपलब्धि को गुनगुनाने का दिन है। और अंत में –भाई देवानंद को, जिनसे राष्ट्रसंवाद बना है, उन्हें हार्दिक बधाई। उनके जज्बे-जोश और जुनून को सलाम