Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
      • दैनिक ई-पेपर
      • ई-मैगजीन
      • साप्ताहिक ई-पेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » नये वर्ष से रामराज्य की सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी
    Breaking News Headlines धर्म राष्ट्रीय

    नये वर्ष से रामराज्य की सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी

    Devanand SinghBy Devanand SinghDecember 30, 2023No Comments7 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

     

     

    नये वर्ष से रामराज्य की सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी
    – ललित गर्ग –
    एक युगांतरकारी घटना के तहत भगवान श्रीराम पांच सौ वर्षों के बाद टेंट से मन्दिर में स्थापित होंगे। अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्रीराम मन्दिर का उद्घाटन 22 जनवरी, 2024 को करेंगे, निश्चित ही नये वर्ष से जन-जन को रामराज्य की सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी, भारत एक नये युग में प्रवेश करेगा। जितनी आस्था एवं भक्ति से जन-जन ने श्रीराम के प्रति भक्ति एवं आस्था व्यक्त की है, उतनी ही आस्था एवं संकल्प से अब हर व्यक्ति श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारे एवं स्वयं को श्रीराममय बनाये। श्रीराम बनने की तैयारी करें। अब पुनर्जन्म श्रीराम का ही नहीं, हमारा भी हो। हमारे इर्द-गिर्द श्रीराम की बहुत-सी श्रेष्ठताएं हैं, जो हमें महानता तक ले जाती है और जीवन-मूल्यों की प्रतिष्ठा करती हैं।
    नया वर्ष भारत के लिये वास्तविक रूप में रामराज्य की स्थापना का ऐतिहासिक वर्ष होगा। श्रीराम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहा गया है अर्थात पुरुषों में सबसे श्रेष्ठ उत्तम पुरुष। आज की जटिल, समस्याग्रस्त एवं अनैतिक स्थितियों के समाधान के लिये अपेक्षा है कि हर व्यक्ति श्रीराम बने, उत्तम पुरुष बने। हर व्यक्ति के सामने एक विचारणीय एवं बड़ा प्रश्न है कि वह आज का राम कैसे बने? राम वही बन सकता है जिसने स्वयं को पाने के लिये सकारात्मक यात्रा प्रारंभ की है, जिसमें लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण है। जिसमें कष्टों को सहने की सहिष्णुता और धैर्य है, प्रतिकूलताओं एवं कष्टों के बीच सुख और श्रेयस् खोज लेने की प्रकृति है। शब्दों के कोलाहल में मौन रहने का संकल्प है। जो पुरुषार्थ से अपना भाग्य बदलना जानता है। जिसमें प्राणीमात्र के प्रति प्रेम, करूणा एवं मैत्री का भाव है। जो अपने विरोधी या शत्रु से भी सीखने को वरीयता दे। जिसका जीवन सादगी एवं संयम का प्रेरक हो। जो बुराइयों एवं अत्याचार के खिलाफ मोर्चा लेने को तत्पर हो। उन्नत एवं आदर्श समाज एवं राष्ट्र रचना जिसका जीवन-सपना हो। जो स्व और पर के अभ्युदय के लिये तत्पर हो। श्रीराम के इन गुणों को अपनाते हुए हर व्यक्ति राम बनने की ओर प्रस्थान कर सकता है।
    प्रभु श्रीराम के व्यक्तित्व में विलक्षण संतुलन मिलता है। शांत-गंभीर और सौम्य श्रीराम ने कभी अपना संतुलन नहीं खोया। उन्होंने कभी परिस्थिति को अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया बल्कि हर परिस्थति में दृढ़ता बनाए रखना ही उनका स्वभाव है। आज के मुश्किल समय में हमें यही सीखना है। अनिश्चितता और संशय भरे समय में जब हर कोई टूटा हुआ, भंवर में पड़ा महसूस कर रहा है, श्रीराम की कर्तव्य पथ पर डटे रहने की प्रेरणा काम आ सकती है। मैं तो कहूंगा यदि हम प्रभु श्रीराम के व्यक्तित्व का कुछ अंश भी, उनसे कुछ बूंद भी ग्रहण कर सकें, तो निश्चित ही अपने व्यक्तित्व और जीवन में बदलाव महसूस कर सकते हैं। ऐसा करते हुए हम व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं वैश्विक जीवन को उन्नत एवं आदर्शमय बना सकते हैं।

     

     

    आज प्रभु श्रीराम के पुनर्जन्म से ज्यादा जरूरी है, अब हमारा पुनर्जन्म हो। हम श्रीराम के व्यक्तित्व से सीखें, उनके जीवन-आदर्शों पर अपने जीवन को ढ़ाले, जैसे श्रीराम अपने वचन के पक्के थे और इसके लिए बड़े से बड़ा त्याग किया। हमें भी वचनबद्ध होने की साधना करनी चाहिए। श्रीराम को खुद पर भरोसा था और उन्होंने साथ रहने वाले लोगों में भी भरोसा जगाया, हमें भी अपना भरोसा जगाना चाहिए। आगे बढने के लिए दृढ़ संकल्प काफी है। इसके बाद साधन की कमी राह में रोड़ा नहीं बनती। चाहे सेना कम हो या सुविधाओं का अभाव, श्रीराम ने रावण पर अपने दृढ़ संकल्प की बदौलत ही जीत हासिल की। अपनी संकल्प शक्ति से प्रभु श्रीराम की तरह व्यक्ति महानता के उस शिखर को भी छू सकता है, जहां देवता भी नहीं पहुंच पाए थे। एक युवा मन ने वन-गमन के फैसले को सहर्ष स्वीकार किया। तनिक भी विचलित नहीं हुए, बल्कि उस समय विलाप कर रहे मां, भाई और समाज के लोगों में भी अपने निर्णय पर अटल रहने की प्रेरणा जगा दी।
    उद्देश्य को लेकर स्पष्ट होना जरूरी है, आपका लक्ष्य क्या है, यह पता होना चाहिए। भाषा-विवेक जरूरी है। अनुचित भाषा का प्रयोग प्रभु श्रीराम ने कभी नहीं किया। हर किसी का स्वागत मुस्कुरा कर करते और उसे तुरंत अपना बना लेते। कभी यह नहीं याद रखा कि औरों ने उनके साथ क्या और कैसा व्यवहार किया, सबके प्रति प्रेम भाव रखा और कर्म पथ पर अडिग रहे। दृष्टि संकुचित नहीं, बल्कि इसमें अथाह विस्तार था। वह परिवार केंद्रित नहीं रहा, बल्कि समस्त मानव जाति के प्रति प्रेम ही था उनका संदेश। अपनी महानता के बारे में कभी विचार नहीं किया, न इसका एहसास कराने की जरूरत समझी। जमीनी बने रहे। सांसारिक जीवन में आगे बढ़ने, नाम कमाने यानी ख्याति, यश, कीर्ति के लिए सद्गुणों और अच्छे कामों की बड़ी भूमिका होती है, क्योंकि गुण ही किसी भी इंसान को असाधारण और विलक्षण प्रतिभा का स्वामी बना देते हैं। इंसान को अपने जीवन में सफल होने के लिए किन खास गुणों पर ध्यान देना चाहिए ये रामजी के चरित्र के माध्यम से बताया गया है। उन्होंने मानवीय रूप में जन-जन का भरोसा और विश्वास अपने आचरण और असाधारण गुणों से ही पाया। उनकी चरित्र की खास खूबियों से ही वह न केवल लोकनायक बने, बल्कि युगान्तर में भी भगवान के रूप में पूजित हुए।

     

     

     

    हम राम तो बनना चाहते हैं पर श्रीराम के जीवन आदर्शों को अपनाना नहीं चाहते, यह एक बड़ा विरोधाभास है। अजीब है कि जो हमारे जन-जन के नायक हैं, जिन प्रभु श्रीराम को अपनी सांसों में बसाया है, जिनमें इतनी आस्था है, जिनका पूजा करते हैं, हम उन व्यक्तित्व से मिली सीख को अपने जीवन में नहीं उतार पाते। जरा सोचिए क्या न्याय पाने के लिए कानून को तोड़ा जा सकता है? प्रभु श्रीराम ने तो न्याय के लिए बड़े से बड़ा त्याग किया। अपने-पराए किसी भी चीज की परवाह नहीं की। न्याय के लिए नियमों को सर्वोपरि रखा और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए! पर हमने यह नहीं सीखा और न्याय के नाम पर नियमों को तोड़ना आम बात हो गई है। संयमित रहना है और नियमों का पालन करना चाहिए, इस बात को लोग गंभीरता से नहीं लेते।
    आज का इंसान छोटी-छोटी बातों से, संकटों से विचलित हो जाता है। श्रीराम भी विचलित हुए जब लंका नरेश रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया गया। श्रीराम का विचलन माता सीता को जल्दी से जल्दी रावण से मुक्त कराने को लेकर था, उनके मार्ग में जो सबसे बड़ी बाधा थी वह समुद्र था। इसे पार करने की चुनौती सबको परेशान कर रही थी। श्री लक्ष्मण चाहते थे कि समुद्र सुखाकर आगे बढ़ा जाए लेकिन प्रभु श्रीराम को यह मंजूर नहीं था। उन्होंने समुद्र से मार्ग दिखाने की विनम्र प्रार्थना की और अंततः समुद्र ने मार्ग बताया। जीवन में ऐसी परिस्थितियां आती रहती हैं। पर प्रभु की तरह यदि मुश्किल समय में हम संयम एवं विनम्रता बरतें तो आगे बढ़ने की राह जरूर मिल जाती है। श्रीराम ने सिखाया कि उतार-चढ़ाव तो जीवन का अंग है। दुख किसने नहीं सहा और किसे नहीं होगा, पर यदि संकल्प मजबूत रहे और संकट काल में संयम बनाए रखें तो हम बड़े से बड़े तूफान, झंझावात का सामना कर सकते हैं। हमें कठिनाइयों में भी अपनी नैतिक मर्यादाओं को नहीं खोना चाहिए। तमाम उतार-चढ़ाव में भी अपने पथ पर आगे बढ़ना ही श्रेष्ठ है, न कि बुराई के आगे समर्पण कर देना। प्रभु श्रीराम ने मर्यादा का जीवन जीकर जन-जन के लिये प्रेरणा बने। पर आज के मनुष्य ने अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर प्रकृति, पदार्थ, प्राणी और पर्यावरण के सह-अस्तित्व को नकार दिया। हम अपने वैयक्तिक विचारों के आग्रह में बंधकर रह गये, हमने वैभव और विलासिता की दीवारों को ऊंची करने में जीवन खपा दिया। श्रीराम ने समता से जीने की सीख दी, पर हमने अनुकूलता-प्रतिकूलता के बीच संतुलन-धैर्य रखना भूल गये। श्रीराम ने अभय और मैत्री का सुरक्षा कवच पहनाया, हम प्रतिशोध और प्रतिस्पर्धा को ही राजमाग समझ बैठे। मेरा ईश्वर मैं ही हूं, मेरा राम मैं ही हूं-यह समझ तभी फलवान बन सकती है, जब व्यक्ति स्वयं श्रीराम को जीए और श्रीराम को जीने का तात्पर्य होगा- स्वयं का पुनर्जन्म।

    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleअंसार खान के नेतृत्व में मानगो नगर निगम के द्वारा कई क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइटों को कराया ठीक
    Next Article राजस्थान में भजनलाल शर्मा कैबिनेट विस्तार, राज्यवर्धन राठौड़ और किरोड़ी लाल मीणा बने मंत्री

    Related Posts

    जिला कांग्रेस ने जय हिंद यात्रा निकाल कर सेना के सौर्य को सलाम किया – बन्ना गुप्ता एवं आनन्द बिहारी दुबे

    May 11, 2025

    राष्ट्रीय लोक अदालत आर्थिक रूप से कमजोर लोंगो को न्याय दिलाने में कारगर : प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश

    May 11, 2025

    ब्रह्मानंद नारायणा अस्पताल और त्रिनेत्रम आई अस्पताल के संयुक्त तत्वाधान में मेगा हेल्थ चेकअप कैंप का आयोजन

    May 11, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    जिला कांग्रेस ने जय हिंद यात्रा निकाल कर सेना के सौर्य को सलाम किया – बन्ना गुप्ता एवं आनन्द बिहारी दुबे

    राष्ट्रीय लोक अदालत आर्थिक रूप से कमजोर लोंगो को न्याय दिलाने में कारगर : प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश

    ब्रह्मानंद नारायणा अस्पताल और त्रिनेत्रम आई अस्पताल के संयुक्त तत्वाधान में मेगा हेल्थ चेकअप कैंप का आयोजन

    मोदी के नेतृत्व में सर्जिकल प्रहार, झुका पाकिस्तान, दुनिया ने मानी भारत की ताकत

    अवैध खनिज परिवहन, भंडारण एवं उत्खनन को लेकर जांच जारी

    टाटा एजुकेशन एक्सीलेंस प्रोग्राम के अंतर्गत स्कूलों में 5S और विजुअल वर्कप्लेस मैनेजमेंट का आयोजन

    उपायुक्त एवं उप विकास आयुक्त ने आकांक्षी प्रखंड मुसाबनी में क्षेत्र भ्रमण कर विभिन्न समूहों से संवाद स्थापित किया

    भारत की निर्णायक कार्रवाई से डरा पाकिस्तान, मित्र देशों का आभार : अंकित आनंद

    जमशेदपुर में बंकर पर सभी कि नजर टिकी

    इंटक नेत्री शशि आचार्य को सरायकेला जिला मीडिया प्रभारी नियुक्त

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.