झारखंड बंगभाषी समन्व्य समिति ने झारखंड के स्कूलों में बंगला पढाई समेत पांच सूत्री मांगो को लेकर 22 सिंतबर को जमशेदपुर के साकची नेताजी सुभाष मैदान से रांची तक, 150 किलो मीटर लंबी दूरी पदयात्रा का एलान किया है । यह पद यात्रा पांच दिनों के बाद रांची पहुंच कर एक विशाल जनसभा में तब्दील हो कर जनसभा को संबोधित करेगी ।
साथ ही पांच सूत्री मांग पत्र झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपेगी । झारखंड बंगभाषी समन्वय समिति के अध्यक्ष विकास मुखर्जी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का पहला परिचय उसकी मातृभाषा , जाति की पहचान होती है और अगर किसी जाति से उसकी मातृभाषा छीन लिया जाये तो उस जाति का अस्तिव समाप्त हो जायेगा । ठीक ऐसा ही परिस्थिति झारखंड में बंगाली समाज के साथ किया जा रहा है । जितने भी स्कूल है सभी स्कूलों से बंगला की पढाई बंद की जा रही है । स्कूलों में ना ही बंगला विषय के शिक्षक है और ना ही बंगला विषय पर किताबें है । झारखंड रज्य से पहले स्कूलों में बंगला में पठन पाठन किया जाता था , लेकिन अब धीरे धीरे समाप्त हो रहा है ।
झारखंड में बीते 23 सालों से बंगलाभाषी अपनी मातृभाषा के अस्तिव की लड़ाई लड़ते आ रहा है , कई सरकारे आयी और कई सरकार चली गयी , लेकिन किसी भी सरकार ने बंगलाभाषी के अस्ति्व पर ध्यान नही दिया ।
अपने अस्तिव को बचाने के लिये अब झारखंड बंगभाषी समन्वय समिति ने आंदोलन का बिगूल फूंका है , जो आने वाले 22 सितंबर से जमशेदपुर के आमबगान सुभाष मैदान से सैकड़़ो की संख्या में बंगाली समुदाय के लोग रांची के लिये पैदल पदयात्रा के लिये निकलेंगे ।
समिति के अध्यक्ष विकास मुखर्जी ने कहा कि पद यात्रा के दौरान सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान रखेंगे जायेंगे । पानी , मेडिकल टीम और रात्री विश्राम होगी । इस दौरान विभिन्न गांवो से लोग इस पदयात्रा में जुड़ते चले जायेंगे । यह पदयात्रा ऐतिहासिक होगा ।