अनंत कुमार की रिपोर्ट
तेघड़ा ,बेगूसराय :तेघड़ा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामदेव महतो ने पिढौली पंचायत अंतर्गत प्राथमिक उत्क्रमित मध्य विद्यालय बाजितपुर पिढौली का किया औचक निरीक्षण, विद्यालय के पठन-पाठन कार्य एवं शैक्षणिक व्यवस्थाओं का लिया जायजा .विद्यालय वर्ग में प्रवेश करके छात्र छात्राओं से मिलकर किया बात मौजूद रहे स्थानीय मुखिया कुंवर अनुराग प्रताप सन्नी, विद्यालय की दयनीय स्थिति देखकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी भड़क उठे,उन्होंने विद्यालय में पाया कि बीच बरामदे के फर्स पर ही कचरे को बोड में बंद करके और कुछ कचरा नीचे जमा करके रखा हुआ था ,शौचालय पूर्ण रूप से अव्यवस्थित थी और दुर्गंध युक्त थी, विद्यालय का आधा से अधिक हिस्सा का भवन बिल्कुल टूटा हुआ है ,वही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विद्यालय परिषर में जो झंडोतोलन के लिए स्थान बनाया गया था वह भी बिल्कुल टूटा हुआ था. इन तमाम चीजों को देखते ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी भड़क उठे, लेकिन वह अपनी भड़ास किस पर निकालते क्योंकि विद्यालय में तो विद्यालय प्रधान मौजूद ही नहीं थे ,हालांकि शिक्षक उपस्थिति पंजी में प्रधानाध्यापक का हाजिरी बना हुआ था और वह विद्यालय से गायब थे . इन तमाम चीजों को लेकर अन्य शिक्षको से जब अधिकारी ने बात शुरू की तो बातचीत के दौरान पता लगा कि विद्यालय प्रधान का यही दैनिक रवैया है .विद्यालय आते हैं अपनी उपस्थिति बनाते हैं और फिर अपने घर चले जाते हैं. शिक्षकों के साथ भी प्रधानाचार्य का जो व्यवहार है वह बिल्कुल दोषपूर्ण है ,जिसको लेकर शिक्षक भी परेशान रहते हैं वहीं विद्यालय में पठन-पाठन का कार्य बिल्कुल नग्न मात्र है. जब अधिकारी ने विद्यालय में उपस्थित पंजीयों का जांच किया तो उसमें भी भारी मात्रा में अनियमितता पाई गई है. इन तमाम चीजों को लेकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने कार्यवाही की बात कही है ,साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि सम्यक मनोनुकूल जवाब नहीं मिलेगा तो विद्यालय के प्रधान के ऊपर विधि सम्मत कार्यवाही भी की जाएगी. वहीं शिक्षा पदाधिकारी के घंटों इंतजार के बाद विद्यालय पहुंचे विद्यालय प्रधानाध्यापक, गौरी शंकर राम .जब उनसे अधिकारी ने कारण पूछा कि आप कहां थे तो वह आनाकानी करते नजर आए और कई बहाना एक साथ बनाने लगे साथ ही अपने स्वास्थ्य का भी हवाला देने लगे कि वह काफी बीमार रहते हैं, जबकि स्थानीय लोगों ने बताया कि यह बिल्कुल विद्यालय व्यवस्था के विपरीत कार्य करते हैं ,और ना तो छात्रों पर ध्यान देते हैं .न विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था बनाने पर ध्यान देते हैं ,और ना ही शिक्षकों के साथ ही इनका व्यवहार सम्यक है .जब से यह विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापक के रूप में पदभार लिए हैं तब से विद्यालय की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती चली जा रही है. यदि कोई व्यक्ति उनसे विद्यालय के विकास से संबंधित या पठन-पाठन के संबंधित बात करता है, अधिकार की बात करता है, विद्यालय के दुर्व्यवस्था को लेकर बात करता है तो वह एक ही शब्द कहते हैं कि हम जातिवाद वाला केस कर देंगे और बुरी तरह से उनको फंसा देंगे।