जामताड़ा- आर्ट ऑफ लिविंग जामताड़ा के सदस्यों द्वारा आसनसोल रविंद्र भवन में रामलला की माता नाटक देखने की तैयारी जोरों पर।
आसनसोल के रविंद्र भवन में
3 जुलाई, संध्या- 6:00 से 8:00 बजे
आर्ट ऑफ लिविंग के इंटरनेशनल आश्रम के नाटक मंडली द्वारा रचित नाटक- “राम लला की माता” जो इस समय भारतवर्ष के प्रमुख शहरों में अपना नाटक प्रस्तुत कर लोगों में एक नई सकारात्मक सोच का निर्माण कर रहे हैं। माता कैकई और मंथरा ने साधारण राजकुमार श्रीराम को
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र बनाने के लिए युगो कि कलंक को हंसते-हंसते अपने माथे कैसे ले लिया– रामलला की माता नाटक में दर्शाया गया है। एक माँ ही संतान का चरित्र को गढती है, वह एक माँ ही तो थी – जिसने साधारण राजकुमार श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र बना दिया और युगों की कलंक को हंसते-हंसते स्वीकार कर लिया।
माता कैकई मंथरा और माता कौशल्या के अनोखे त्याग और बलिदान की कहानी जिसे आर्ट ऑफ लिविंग के आश्रम मंडली द्वारा रचित नाटक को देखने के लिए जामताड़ा आर्ट ऑफ लिविंग के सदस्यों में उत्सुकता देखी जा रही है। आसनसोल आर्ट ऑफ लिविंग के वरिष्ठ टीचर – अर्चन रॉय ने जामताड़ा आकर जामताड़ा इकाई के सदस्यों से आसनसोल के रविंद्र भवन में आकर बच्चों के साथ नाटक देखने का अपना सुझाव दिया । उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को ऐसा नाटक देखना चाहिए जिससे सकारात्मक सोच में वृद्धि हो एवं बच्चों में पॉजिटिव सोच एवं अच्छे संस्कार का निर्माण हो ।
जामताड़ा आर्ट ऑफ लिविंग के मीडिया कोऑर्डिनेटर विजय भगत ने बताया की राम लला की माता का सारांश सोशल मीडिया में सुनने के बाद जामताड़ा आर्ट ऑफ लिविंग के सदस्य- महिला,पुरुष अपने अपने साथ अपने बच्चों को ऐसे नाटक देखने के लिए आसनसोल जाने का साधन अपना-अपना सुविधानुसार कर रहे हैं, संभवत यहां से 50 की संख्या में लोग आसनसोल के रविंद्र भवन जाकर रामलला की माता नाटक को देखेंगे।