जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड में गांव के लोग आज भी डोभा के पानी पीने के लिए मजबूर।
जामताड़ा -: आजादी के 75 साल बाद भी अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर है नारायणपुर प्रखंड के सकलपुर गांव के आदिवासी समाज के लोग। नारायणपुर प्रखंड के सकलपुर गांव के आदिवासी समुदाय के लोग आज भी डोभा के पानी पीने के लिए मजबूर है। सकलपुर गांव जाने के लिए पक्की सड़क का भी इंतजाम नहीं है, सड़क नहीं रहने के कारण गांव में कोई भी बीमार रहते हैं तो एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं।
नारायणपुर प्रखंड के डोमारटाड़ टोला एवं जानीडीह गांव के आदिवासी बाहुल्य समाज के लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव से गांव के लोग डोभा के पानी से अपना प्यास बुझाते हैं। यहां के लोगों को पीने का पानी जुगाड़ करने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है, यहां के लोग आज भी आदिकाल की तरह डोबा का गंदा पानी छानकर पीने के लिए मजबूर है। गांव के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के नाम पर पक्की सड़क का भी नसीब नहीं हुई है, गांव के लोग बीमार पड़ते हैं तो सड़क नहीं रहने के कारण एंबुलेंस भी गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे ग्रामीणों को बहुत से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि डोमारटाड़ गांव में विभाग द्वारा 14वें वित्त आयोग से सोलर जलमीनार का निर्माण किया गया था
लेकिन कुछ दिन बाद ही अज्ञात चोरों के द्वारा सोलर जलमीनार से सब गायब हो गया, तब से यह जलमिनार बेकार पड़ा हुआ है। विभाग द्वारा जानीडीह, सकलपुर, डोमारटाड़ टोला में एक-एक चापाकल का निर्माण करवाया गया है जिसका पानी पीने लायक नहीं है। यहां के ग्रामीणों ने पेयजल सुविधा एवं पक्की सड़क के लिए सरकार से गुहार लगाई है ।
संतोष कुमार की रिपोर्ट