अफवाहों के बजाय पुलिस-प्रशासन पर भरोसा करे जनता
इंटरनेट को बंद करना और जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई सही माना जाएगा
देवानंद सिंह
कदमा के शास्त्री नगर में भड़की हिंसा शर्मनाक ही नहीं चिंताजनक भी है, क्योंकि हिंसा के बाद जिस तरह के हालात जमशेदपुर शहर में उत्पन्न हुए उससे आम जनजीवन पर काफी बुरा असर पड़ा। हालांकि, मंगलवार शाम को इंटरनेट चालू कर दिया गया था, लेकिन जितने समय तक बंद रहा, उससे न केवल कारोबार पर असर पर पड़ा बल्कि आम लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस मामले में आजकल की स्थिति इसीलिए चिंताजनक कही जा सकती है, क्योंकि सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाह से ही हिंसा भड़कने लगती है। इंटरनेट को बंद करना और जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई सही माना जाएगा, लेकिन इससे पहले हमें यह सोचना होगा कि आखिरकार ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न होती है।
क्या समय रहते ऐसी हिंसक घटनाओं को रोका नहीं जा सकता। क्या हमें ऐसी घटनाओं के लिए सिर्फ पुलिस-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराना चाहिए या फिर आम जनता को भी इस पर मंथन करने की जरूरत है, क्योंकि जनता के बीच मतभेद और टकराव की स्थिति में ही हिंसक घटनाएं जन्म लेती हैं, लिहाजा पुलिस-प्रशासन से भी बड़ी और प्राथमिक जिम्मेदारी जनता की बनती है।
पर ऐसी घटनाओं को जन्म देने में असामाजिक तत्वों की भूमिका होती है, वो किसी भी हद तक जनता में तनाव फैलाना चाहते हैं। ऐसे में, जरूरी है कि पुलिस ऐसे असामाजिक तत्वों पर नकेल कसने के लिए हर स्तर पर सक्रिय रहे, तभी ऐसे असामाजिक तत्व हिंसा फैलाने की जरूरत नहीं कर पाएंगे।
रविवार को कदमा के शास्त्री नगर में फैली हिंसा के बाद जमशेदपुर पुलिस-प्रशासन एक्शन मोड में दिखा। निश्चित ही, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती बहुत ही जरूरी होती है, लेकिन इसके लिए जरूरी यह होना चाहिए कि आमजन को पुलिस-प्रशासन को हर स्तर पर सहयोग करना चाहिए, अफवाहों में नहीं आना चाहिए, बल्कि पुलिस-प्रशासन की बात पर अधिक भरोसा किया जाना चाहिए। जमशेदपुर पुलिस द्वारा संवेदनशील ईलाकों में धारा-144 लगाए जाने के बाद स्थिति नियंत्रण में है और
उन लोगों को चिन्हित किया जा रहा है, जो हिंसा फैलाने में संल्प्ति रहे हैं। 70 से ज्यादा लोगों को चिन्हि़त किया जा चुका है, जिनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर पुलिस-प्रशासन पूरी तरह कमर कस चुका है। फिलहाल, हिंसाग्रस्त ईलाकों में शांति बनी हुई है। पुलिस शहर में जगह-जगह कैंप कर रही है। हर चौक-चौराहों और चेकपोस्टों पर सख्ती बढ़ा दी गई है। निश्चित तौर पर पुलिस-प्रशासन की यह सक्रियता जरूरी थी, नहीं तो हिंसा को रोकना मुश्किल हो जाता,
जिसका और भी बढ़ा नुकसान हो सकता था। अब जरूरी है कि हिंसा फैलाने में जो भी शरारती तत्वों शामिल रहे हैं, उनके खिलाफ पुलिस-प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे हिंसा फैलाने की हिम्म्त करने वाले शरारती लोगों को सबक मिल सके।
हालांकि भाजपा की द्वारा गठित जांच टीम ने भी पुलिस प्रशासन से पूरे मामले की जानकारी ली और जांच टीम ने भी दोषी पर कार्रवाई करने की बात कही
दूसरी तरफ, आमजन को भी पुलिस-प्रशासन का सहयोग करते हुए अफवाहों में आने से बचना होगा, तभी शहर का अमन-चैन बरकरार रहेगा। शहर में अमन-चैन बनाए रखने की जिम्मेदारी केवल पुलिस-प्रशासन की ही नहीं है बल्कि आमजन को भी इसमें सहयोग करना होगा, तभी शहर हिंसक घटनाओं की चपेट में आने से बचेगा।