दिल्ली. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस (BharOS) की टेस्टिंग की है. मेड-इन-इंडिया ऑपरेटिंग सिस्टम को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास द्वारा विकसित किया गया है. भारत की गोपनीयता और सुरक्षा के मद्देनजर नया ऑपरेटिंग सिस्टम काफी अहम है. लेटेस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के आने के बाद गूगल के एंड्रॉयड और एप्पल के आईओएस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम पर देश की निर्भरता कम होगी.
अपकमिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का सरकारी महकमों और पब्लिक सिस्टम में इस्तेमाल किया जाएगा. इससे सरकारी डेटा को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी. मोदी सरकार एंड्रॉयड या आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम के भरोसे नहीं रहना चाहती है. इसलिए सरकार ने भरोस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया है. इससे भारतीय यूजर्स को सेफ एक्सपीरिएंस देने में मदद मिलेगी. अभी तक देश में ज्यादातर स्मार्टफोन गूगल के एंड्रायड ओएस पर चलते हैं.
आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट कर कहा कि सिस्टम के डेवलपमेंट में शामिल सभी को बधाई. पहली बार जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आठ साल पहले डिजिटल इंडिया के बारे में बात की थी, तो हमारे कुछ दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाया था, लेकिन आज देश के टेक्नोक्रेट, इनोवेटर्स, इंडस्ट्री और पॉलिसी मेकर और शिक्षण संस्थान ने आठ साल बाद उनके दृष्टिकोण को स्वीकार किया है.
गौरतलब है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े स्मार्टफोन मार्केट में से एक है. यहां 1 अरब से ज्यादा मोबाइल यूजर्स हैं, जिनमें स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वालों की बड़ी संख्या है. सरकार चाहती है कि इतनी बड़ी आबादी के लिए स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम होना चाहिए. फिलहाल 97 प्रतिशत स्मार्टफोन एंड्रायड आपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं. बाकी के स्मार्टफोन एप्पल के आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर हैं. ऐसे में भरोस आने के बाद गूगल और एप्पल के ओएस को कड़ी चुनौती मिलेगी.
अक्सर यूजर्स को ऑपरेटिंग सिस्टम में समय से अपडेट नहीं मिलता है, जिससे उनके डेटा की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है. समय से अपडेट ना देने के चलते स्मार्टफोन में सेंधमारी का खतरा बढ़ जाता है. वहीं भरोस को डेटा सिक्योरिटी के लिहाज से ही तैयार किया जा रहा है.