गोबिंद कुमार की रिपोर्ट
नावकोठी,बेगूसराय:हरिशयनी एकादशी के साथ ही सभी देवता विश्राम में चले गए। हरिप्रबोधिनी(देवउठान एकादशी) तथा तुलसी विवाह होने के साथ ही चतुर्मास समाप्त होगा।पंडित संदीप झा उर्फ बिपिन झा ने बताया कि भगवान विष्णु के सोने के बाद पूरे चार महीने तक शादी,विवाह,मुंडन,जनेऊ सहित सभी 16 संस्कार के कार्य पर रोक लग जाता है।भगवान विष्णु के देवोत्थान एकादशी पर जागने के बाद फिर से सभी कार्य शुरू हो जाते हैं।आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन से कार्तिक के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन तक इन चार महीनों को शास्त्रों में चातुर्मास के नाम से जाना जाता है।उन्होंने बताया कि शास्त्र पुराणों के अनुसार माना गया है कि देवशयनी एकादशी के दिन सभी देवता और उनके अधिपति विष्णु सो जाते हैं।देवताओं का शयन काल मानकर इन चार महीनों में विवाह,नया निर्माण या कारोबार आदि शुभ कार्य नहीं होता है। इसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को क्षीरसागर में सोए भगवान विष्णु जगते हैं। इस अवसर पर तुलसी और शालिग्राम का विवाह पूरे धूमधाम से मंत्रोच्चार के साथ किया जाता है।भगवान विष्णु के जगने के बाद सभी शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं। विद्वतजन के अनुसार इस चतुर्मास का प्रकृति सेे भी सीधा संबंध है।यह सूर्य की स्थिति और ऋतु प्रभाव से सामंजस्य बैठाने का भी संदेश देता है।इन महीनों मेंं एक स्थान पर ठहरनेे की मान्यता है।