नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को एक अहम फैसले में कहा कि एमबीबीएस और बीडीएस व पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक व्यावसायिक कॉलेजों पर लागू होगी. इन कॉलेजों में अब एडमिशन के लिए नीट की परीक्षा पास करना जरूरी होगा.
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अल्पसंख्यक गैर सहायता प्राप्त संस्थानों में नीट लागू करने से अल्पसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता, जिसमें शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन का अधिकार दिया गया है. नीट का उद्देश्य सिस्टम में होने वाली बुराई और कुप्रथा को खतम करना है. ऐसी थी व्यवस्था : बता दें, मेडिकल से जुड़े कोर्स में प्रवेश के लिए नीट यानी राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा अनिवार्य है.
2016 से पहले मेडिकल कोर्ट के लिए एआईपीएमटी यानिआल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट देना होता था, जिसके माध्यम से मेडिकल के छात्रों को एमबीबीएस, बीडीएस, एमस जैसे पाठ्यक्रम में प्रवेश मिलता था. 2016 के बाद रास्ट्रीय स्तर पर सिर्फ एक परीक्षा का आयोजन होने लगा है. इसके जरिए ही सभी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट में निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक कॉलेजों ने याचिका दाखिल कर कहा था कि नीट धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है.