उत्तर प्रदेश में विधानसभा की खाली पड़ी आठ में से सात विधान सभा क्षेत्रों के लिए बिसात बिछ गई है. मतदाता 03 नवंबर को अपना नया विधायक चुनेंगे. सभी प्रमुख दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. कल 16 अक्टूबर को नामांकन का अंतिम दिन है. भाजपा-कांगे्रस-सपा-बसपा सभी के प्रत्याशी अलग-अलग ताल ठोंक रहे हैं, जिसके चलते मुकाबला चैतरफा होने की उम्मीद है. जीत-हार का अंतर भी काफी कम रहने की उम्मीद है. तीन नवंबर को उप चुनाव होगा और 10 नवंबर को नतीजे आ जाएंगे,जिन सात सीटों पर चुनााव हो रहा है उसमें से छहः पर भाजपा काबिज थी.
विधानसभा चुनाव 2022 से पहले का यह चुनाव योगी सरकार के लिए कड़ी चुनौती है. सात सीटों पर चुनाव होने के बाद रामपुर की स्वार विधान सभा सीट की खाली बचेगी,जहां का मामला अदालत में होने के कारण चुनाव नहीं हो रहा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में स्वार से समाजवादी पार्टी के बड़े नेता आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम खान ने जीत दर्ज की थी,लेकिन उनके द्वारा हलफनामें में जन्मतिथि गलत लिखे जाने के कारण अब्दुल्ला की सदस्यता कोर्ट द्वारा समाप्त कर दी गई थी.
खाली पड़ी सात विधान सभा सीटों में से उन्नाव की बांगरमऊ सीट भाजपा से विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता जाने के कारण खाली हुई है. सेंगर बलात्कार के एक केस में सजा काट रहे हैं. संेगर मामले के चलते भाजपा की छवि को भी करारा झटका लगा था. यह सीट बरकरार रखना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है. यहां से अगर भाजपा हारती है तो इसका मतलब यही निकाला जाएगा कि सेंगर मामले में बीजेपी के नरम रवैये से यहां की जनता बीजेपी से नाराज है. भाजपा ने यहां से उन्नाव के पूर्व जिलाअध्यक्ष श्रीकांत कटियार, समाजवादी पार्टी ने सुरेश कुमार, बसपा ने महेश प्रसाद एवं कांग्रेस ने बांगरमऊ से आरती बाजपेई को अपना प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने सबसे पहले टिकट घोषित किया था.
जौनपुर में मल्हनी सीट समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव के निधन से खाली हुई है. यही एक मात्र सीट है जिस पर भाजपा का कब्जा नहीं है. यहां से भाजपा ने छा. नेता रह चुके मनोज सिंह को मैदान में उतारा है. मनोज इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पदाधिकारी रह चुके हैं. समाजवादी पार्टी ने स्वर्गीय पारसनाथ यादव के पुत्र लकी यादव को उतारा है. यहां सपा को भी सहानुभूति लहर चलने की उम्मीद है.
खांटी नेता पारसनाथ यादव मुलायम और अखिलेश दोनों सरकारों में मंत्री रहे थे. पारसनाथ यादव के 2017 के चुनाव में मुलायम उनका प्रचार करने जौनपुर आए थे. बसपा ने जय प्रकाश दुबे को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने यहां से राकेश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है. पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दावा ठोक दिया है. 2017 में धनंजय सिंह यहां पर निषाद पार्टी के टिकट पर मैदान में थे.
फिरोजाबाद की टूंडला सुरक्षित सीट योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल के सांसद चुने जाने के बाद सीट खाली हुई है. यहां भाजपा को जीतने में शायद ज्यादा परेशानी नहीं होगी. इस सीट के लिए भाजपा ने प्रेमपाल धनगर, सपा के महराज सिंह धनगर, बसपा ने संजीव कुमार चक और कांग्रेस ने स्नेह लता को मैदान में उतारा है.
अमरोहा की नौगावां सादात सीट योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चेतन चैहान के निधन से खाली हुई है. भारतीय जनता पार्टी ने यहां से पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर स्वर्गीय चेतन चैहान की पत्नी संगीता चैहान को टिकट दिया है. संगीता चैहान सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की महाप्रबंधक रही हैं. भाजपा को यह सीट सहानुभूति लहर के सहारे जीत जाने की उम्मीद है. यहां भाजपा प्रत्याशी का मुकाबला समाजवादी पार्टी के सैय्यद जावेद अब्बास, बसपा के मोहम्मद फुरकान अहमद और कांग्रेस के कमलेश सिंह से होगा.
बुलंदशहर की बुलंदशहर सदर सीट भाजपा के विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही की सड़क दुर्घटना में मौत के कारण खाली हुई है. भाजपा ने यहां से स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह सिरोही की पत्नी ऊषा सिरोही को उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया है. राष्ट्रीय लोकदल ने प्रवीण सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. बसपा से मोहम्मद युनूस तथा कांग्रेस से सुशील चैधरी चुनाव मैदान में डटे हैं.
कानपुर की घाटमपुर सुरक्षित सीट योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री कमलरानी वरुण के निधन के कारण सीट खाली हुई थी. भाजपा ने यहां ने कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र पासवान को समाजवादी पार्टी ने 2017 के चुनाव में उप विजेता रहे इंद्रजीत कोरी को बसपा ने कुलदीप कुमार संखवार को और कांग्रेस ने कृपा शंकर को टिकट दिया है.
देवरिया की देवरिया सदर सीट भाजपा के विधायक जन्मेजय सिंह के निधन के कारण खाली हुई है. यहां पर सभी बड़े दल ने ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है. भाजपा ने सत्य प्रकाश मणि सपा ने अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ब्रह्माशंकर त्रिपाठी बसपा ने अभय नाथ त्रिपाठी जबकि कांग्रेस ने मुकुंद भाष्कर मणि त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा है. यहां भाजपा ने अंतिम समय में अपना प्रत्याशी बदल दिया.