नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच सीमा तनाव सुलझाने को लेकर सोमवार को मोल्डो में हुई छठे दौर की बातचीत भी बिना किसी ठोस नतीजे की ही खत्म हो गई. पहली बार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के सैन्य और राजनयिक नुमाइंदों के बीच हुई यह वार्ता यूं तो 14 घंटे तक चली. लेकिन सरहद पर चार महीनों से चल रहे तनाव को कम करने का कोई फार्मूला तय नहीं हो सका. हालांकि दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रखने को लेकर सहमति जरूर बनी.
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक विवाद पेचीदा है, इसलिए भारत और चीन के बीच वार्ता के कुछ और दौर अभी हो सकते हैं. समाधान तलाशने की कवायद में सैन्य और राजनयिक नुमाइंदों के साथ बैठकों का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है. हालांकि बैठक का अगला दौर कब होगा यह अभी तय नहीं है.
सूत्र बताते हैं कि बातचीत की मेज पर पेंगोंग झील के करीब भारत और चीन की सेनाओं के बीच बढ़ा तनाव अब भी विवाद का बड़ा कांटा बना हुआ है. वार्ता के दौरान भारत का आग्रह है कि चीनी सेना पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में आमने-सामने की स्थिति को खत्म करे, अपने सैनिक जमावड़े को घटाए और अप्रैल 2020 की स्थिति तक वापस लौटे. इसके लिए जरूरी है कि चीन पूर्वी लद्दाख के उन सभी मोर्चों से पीएलए सैनिक पीछे हटाए जहां वो मई 2020 के बाद से मौजूद है. बताया जाता है कि तनाव घटाने और समाधान का रास्ता निकालने की कोशिशों से चीन इस मामले पर हर बार कन्नी काट जाता है. चीनी पक्ष इस जिद पर अड़ा है कि भारत पहले रेचिन ला, रिजंगला और फिंगर-4 समेत पेंगोंग झील के उन इलाकों को खाली करे जहां उसने ऊंचाई के नए मोर्चे बनाए हैं. जबकि चीन पेंगोंग के उत्तर में फिंगर इलाके के अपने नए बनाए मोर्चों से पीछे जाने को तैयार नहीं है.
सूत्र बताते हैं कि चीनी खेमा गलवान घाटी स्थित फिंगर 4 से लेकर फिंगर 5, फिंगर 7 अदि मोर्चों पर तो सैन्य मोर्चाबंदी खत्म करने के संकेत देता है. साथ ही देपसांग के इलाके में भी दोनों तरफ के सैनिकों के बीच आमने-सामने के मोर्चे में स्थिति नियंत्रण में हैं. लेकिन पैंगोंग इलाके में न केवल भारतीय मोर्चाबंदी को हटाने की जिद कर रहा है, बल्कि अपने सैनिकों की तैनाती के मोर्चों को जायज भी ठहराने पर आमादा है. जाहिर है इस मुद्दे पर भारत कतई तैयार नहीं हो सकता. सूत्रों के अनुसार भारत ताजा तनाव कम करने के लिए समाधान का रास्ता तो चाहता है, लेकिन सहमति के संभावित फार्मूले को टुकड़ों में बांटने के लिए राजी नहीं है.
इस बीच भारत ने अपनी तरफ से किसी भी हालात से निपटने की तैयारी मुकम्मल रखी हुई है. सैन्य तैयारी के लिहाज से भारत ने जहां एक के मुकाबले एक की दर से सैनिक तैनाती की है. वहीं वायुसेना के लड़ाकू विमानों की हवाई गश्त भी लगातार लद्दाख इलाके में हो रही है. हाल ही में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए आधुनिक राफेल लड़ाकू विमान भी लद्दाख के अग्रिम इलाकों के ऊपर उड़ान भरते देखे जा सकते हैं. इसके अलाना ड्रोन, तोपों और टैंकों की भी तैनाती की गई है.