पटना: बेटे-बेटियों और निकट संबंधियों से प्रताड़ित होनेवाले माता-पिता प्रताड़ना को लेकर अब डीएम के पास अपील कर सकते हैं. प्रताड़ना झेल रहे माता-पिता को अपनी शिकायत के लिए परिवार न्यायालय जाने से मुक्ति मिल गयी है. पहले इसके लिए उनको परिवार न्यायालय में जाना पड़ता था. राज्य सरकार ने अनुभव और कानूनविदों की राय से परिवार न्यायालय से अपील की सुनवाई करने का अधिकार स्थानांतरित कर डीएम को सौंप दिया है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में समाज कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम-2007 के तहत में गठित अपील अधिकरण के अध्यक्ष अब डीएम को बनाने की मंजूरी दी गयी. बैठक में कुल 15 एजेंडों पर मुहर लगी. कैबिनेट की बैठक के बाद कैबिनेट सचिव संजय कुमार व समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि यह कानून पहले से है.इसमें माता-पिता और वरीय नागरिकों के भरण-पोषण और सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी संतान या निकट संबंधी द्वारा नहीं निभाने पर वे अनुमंडल स्तर पर एसडीओ की अध्यक्षता में गठित ट्रिब्युनल में आवेदन कर सकते थे. एसडीओ के ट्रिब्यूनल के फैसले का पालन नहीं होने पर माता-पिता व वरीय नागरिकों को जिले के परिवार न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में अपील के लिए जाना पड़ता था.अनुभव में यह पाया गया कि 2007 में बने इस कानून के तहत अब तक कोई भी वरीय नागरिक परिवार कोर्ट में अपनी संतान के खिलाफ अपील में नहीं गया है. उनके पास साधन नहीं थे या कोर्ट के चक्कर में वह अदालत जाने का साहस नहीं जुटा पाते थे. इसे देखते हुए विभाग ने कानूनविदों से राय लेकर अपनी अनुशंसा राज्य सरकार के पास भेजी, जिसकी स्वीकृति मिल गयी है. अब डीएम के पास कोई भी वरीय नागरिक सरलता से पहुंच सकता है और अपनी बात कह सकता है.