नई दिल्ली. देशभर में फैले कोरोना वायरस के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान जताया है कि अगर फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में भारत ने तेजी से सुधार के कदम नहीं उठाए तो देश की विकास दर 8.8 फीसदी तक पहुंच सकती है. इसके साथ ही IMF ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में विकास दर में करीब 10.30 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल सकती है. Covid-19 की वजह से देशभर में हुए लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों पर काफी गहरा असर पड़ा है.
इंटरव्यू में पूछे गए इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा इस समय के आंकड़े को देखते हुए ये अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में बांग्लादेश के मुकाबले अर्थव्यवस्था में तेजी से रिकवरी की क्षमता है. इसके साथ ही वह बोलीं कि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों पर कोरोना का असर भी कम देखने को मिला है. इन देशों की आबादी भारत की तुलना की काफी कम है और उन्होंने कोरोना पर अपने तरीके से रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं.
अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने बताया कि इंडियन इकोनॉमी में तेजी से उबरने की क्षमता है. इसलिए ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि दूसरी तिमाही में स्थितियों में कुछ सुधार हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने बातचीत में कहा कि वित्त वर्ष 2021-2022 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 8.8 फीसदी है, जोकि कोई कठिन आंकड़ा नहीं है. इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए अगर सही कदम उठाए गए तो भारत सभी देशों को सरप्राइज कर सकता है.
कोरोना संकट के समय हुए लॉकडाउन की वजह से देशभर में आर्थिक गतिविधियां बंद हो गई थी. इसके बाद जून में शुरू हुई अनलॉक की प्रक्रिया के बाद धीरे-धीरे उद्योग-धंधों ने रफ्तार पकड़ना शुरू किया. फिलहाल इस समय इकोनॉमी में सुधार देखने को मिल रहा है. गीता गोपीनाथ ने कहा कि कुछ देशों को छोड़ दिया जाए तो कोरोना वायरस ने दुनियाभर के देशों की इकोनॉमी को गहरा झटका दिया है. भारत आबादी के हिसाब से बहुत बड़ा देश है और लॉकडाउन की वजह अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.