कोलकाता. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के उस फैसले पर सुनवाई की, जिसमें उसने दुर्गा पूजा पंडाल पर 50 हजार रुपये का अनुदान देने का फैसला किया था. कोर्ट ने आदेश दिया है कि दुर्गा पूजा आयोजकों को दिए जाने वाले फंड 50,000 का 75 प्रतिशत कोरोना के उपकरण खरीदने में इस्तेमाल किया जाए और 25 फीसदी लोगों और पुलिस के बीच बंधन को मजबूत बनाने पर खर्च किया जाए.
न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि राज्य द्वारा दुर्गा पूजा समितियों को दिए गए धन का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है और खरीद बिलों को लेखा-जोखा ऑडिट अधिकारियों को प्रस्तुत करना होगा.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 सितंबर को राज्य में 36,946 दुर्गा पूजा समितियों में से प्रत्येक के लिए 50,000 अनुदान देने की घोषणा की थी. दुर्गा पूजा समन्वय बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, कोविड-19 महामारी के कारण, यह हम सभी के लिए कठिन समय रहा है. हमने प्रत्येक दुर्गा पूजा समितियों को 50,000 अनुदान देने का निर्णय लिया है. सीटू नेता सौरव दत्ता ने फायर ब्रिगेड और बिजली वितरण कंपनियों से अनुमति के लिए आवेदन शुल्क में छूट जैसे अन्य अनुदान को चुनौती देते हुए 9 अक्टूबर को डिवीजन बेंच के समक्ष याचिका दायर की थी.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस तरह का अनुदान भारत में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा के खिलाफ है और यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों को चोट पहुंचाता है. राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि यह अनुदान कोविड के सुरक्षा उपकरण खरीदने और सार्वजनिक-पुलिस संबंध के लिए ‘धर्मनिरपेक्ष उद्देश्यों’ के लिए है.