झारखंड का खजाना खाली, योजनाएं बंद
जय प्रकाश राय
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के गठन के साथ ही उसके सामने एक बड़ा संकट यह है कि राज्य चलाने के लिये उसका खजाना खाली है। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने पिछली सरकार द्वारा की गयी नियुक्तियों एवं कंसल्टेंसी को लेकर भी 48 घंटे में जवाब तलब किया था। इन कंसल्टेंसियों को लेकर भी कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। कहा जा रहा है कि इन गैरजरुरी कंसल्टेसियों पर भी पैसे लुटाये गये थे। जो काम सरकारी एजेंसियों के स्तर से किये जा सकते थे उसके लिये कंसल्टेसियां बहाल की गयीं और उनपर भारी भरकम खर्च हुए। अब हेमंत सरकार के सामने संकट यह है कि राज्य सरकार का खजाना खाली है़। वित्तीय स्थिति को देखते हुए बड़ी योजनाओं को तत्काल स्थगित करने का निर्देश जल्द ही सरकार दे सकती है। योजनाओं का अध्ययन किया जायेगा कि राज्य में किसकी कितनी जरूरत है. राज्य में पिछली सरकार द्वारा किये गये कार्यों के कारण वर्तमान में बनी वित्तीय स्थिति को लेकर सरकार श्वेत पत्र जारी करेगी़। जमशेदपुर पूर्व के विधायक सरयू राय ने भी इस ओर पहले ही ध्यान आकृष्ट किया था और इसके लिये श्वेत पत्र जारी करने की मांग की थी। पिछली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 85429 करोड़ का बजट पेश किया था. लेकिन राज्य की वित्तीय स्थिति देखते हुए इसे घटाकर 81345 करोड़ का कर दिया गया। दिसंबर 2019 तक राज्य में लक्ष्य के मुकाबले 43555.93 करोड़ रुपये राजस्व मिला है, जो लक्ष्य का 53.54 प्रतिशत है।
सरकार में हालात को लेकर मंथन जारी है। विधानसभा सत्र से पहले योजनाओं को लेकर सचिवों के साथ समीक्षा की जायेगी। इसमें तय किया जायेगा कि किन योजनाओं को चालू रखा जाये। यह अजीब सी स्थिति पैदा हुई है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि एक विभाग जिस योजना के लिये 1300 रुपये खर्च कर रहा है वहीं दूसरा विभाग इसी के लिये 13 हजार रुपये खर्च कर रहा है। खजाना खाली होने के कारण अब यह देखा जाएगा कि किसके पास पैसा जा रहा है और कौन मॉनिटरिंग कर रहा है? इसकी जानकारी ली जायेगी. गैर जरूरी योजनाओं को बंद करने पर विचार किया जायेगा. जिन योजनाओं का टेंडर हुआ है, उसका पैसा कहां से आयेगा, इसकी समीक्षा बजट सत्र से पहले की जायेगी। झारखंड में विधान सभा चुनाव की तिथि घोषित होने के कुछ समय पहले से ही यह हालात पैदा हो गयी थी। खजाना खाली होने के कारण पिछली सरकार के कार्यकाल के अंत में भी हड़कंप मच गया था। हेमंत सोरेन की सरकार के गठन के बाद भी करीब एक महीना तक न तो मंत्रिमंडल का पूरी तरह गठन हो पाया और न ही विभागों का बंटावारा हो पाया। इस कारण मामला और भी उलझता चला गया। इतने लंबे समय से योजनाओं के ठप होने के कारण कहीं कोई भुगतान नहीं हो पा रहा है। अब सरकार का कहना है कि पूर्व की सरकार ने बेवजह खर्च किया, जिसके कारण यह स्थिति आ गयी है. सभी योजनाओं का अध्ययन किया जा रहा है. अधिकारियों से बात की जा रही है. बजट सत्र में पूर्व की सरकार द्वारा किये गये कार्यों पर श्वेत पत्र लाया जायेगा.सरकार इस बात का अध्ययन करा रही है कि क्या होना चाहिए था और क्या हुआ. जिसके कारण यह स्थिति बनी. इस पर ही श्वेत पत्र जारी होगा. पैसे की कमी को देखते हुए सड़क व पुल की योजनाओं पर रोक लगा दी गयी है. सरकार ने वर्ष 2018 के एसओआर पर चालू योजनाओं में भी रोक लगा दी है. पूर्व से चल रही योजनाएं भी पैसे के अभाव में बंद हैं। काम नहीं होने के कारण मजदूर पलायन को विवश हैं। जिन योजनाओं का कार्यादेश संवेदकों को मिल चुका है. उसे भी काम करने से रोका गया है. जितने भी टेंडर जारी किये गये थे, उन्हें रद्द कर दिया गया है।सरकार का स्पष्ट आदेश है कि अभी कोई काम नहीं होगा। मुख्य सचिव ने कहा है कि फिलहाल बड़ी योजनाओं को नहीं लिया जाये. बजट के बाद ही बड़ी योजनाओं पर फैसला लिया जायेगा.
लेखक चमकता आईना के संपादक हैं