हाल के चुनावों में करारी हार के बाद चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी ( टीडीपी) को एक और बड़ा झटका लगा है. गुरुवार को टीडीपी के कुल 6 राज्यसभा सांसदों में से चार सांसद बीजेपी में शामिल हो गए. इससे पहले उन्होंने टीडीपी के बीजेपी में विलय का प्रस्ताव पारित किया, जिस पर बीजेपी ने फौरन मुहर लगा दी. शाम में बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने टीडीपी के तीन राज्यसभा सांसदों को पार्टी में औपचारिक तौर पर शामिल कराया. एक राज्यसभा सांसद तबीयत खराब होने के कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए. इससे पहले इन नेताओं ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात की. इस बीच, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि उनकी पार्टी ने विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर भाजपा के साथ लड़ाई लड़ी है. यही कारण है कि पार्टी एनडीए से अलग हुई और मंत्री पदों को त्याग किया. नायडू के मुताबिक, टीडीपी के मुश्किलों से जूझना नई बात नहीं है. कार्यकर्ताओं को निराश होने की जरूरत नहीं है.वाईएस चौधरी पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं और सीएम रमेश चंद्रबाबू के करीबी. पार्टी के दो सांसद आयकर, सीबीआई व ईडी के लगातार छापा कार्रवाई से घिरे हुए हैं. हाल ही में इन पर कई बार छापे पड़ चुके हैं.
भाजपा की उच्च सदन में ताकत बढ़ जाएगी
इन नेताओं के भाजपा में आने से सत्तारूढ़ दल की उच्च सदन में ताकत बढ़ जाएगी. राजग के पास लोकसभा में तो पूर्ण बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में नहीं है. पार्टी के चार सांसदों के पाला बदलने पर तेदेपा व चंद्रबाबू नायडू के लिए संकट पैदा हो सकता है. नायडू फिलहाल अपने परिवार के साथ विदेशों में घूम रहे हैं. तेदेपा को हालिया आम चुनाव व आंध्र के विस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. आंध्र में उसकी सत्ता चली गई है और मात्र तीन लोस सीटें मिली हैं.245 सदस्यीय रास में भाजपा के सबसे ज्यादा 71 सदस्य हैं, लेकिन साझा विपक्ष का यहां बहुमत है. इसलिए दलबदल कानून से बाहर राज्यसभा में तेदेपा के अभी छह सदस्य हैं. दलबदल के लिए पार्टी के कुल सदस्यों के दो तिहाई (66 फीसदी) सदस्यों की सहमति जरूरी है, चूंकि चार सदस्य पार्टी बदलेंगे, इसलिए उन पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा.