देखिये आज के समय चक्र की सचबयानी…
सोनी सुगन्धा
काँटो का इक हार मिला है मुझको तो ।
ऐसा भी सत्कार मिला है मुझको तो ।।
मैंने घाटे प्यार में बेशक खाए हैं ,
धोखे का बाज़ार मिला है मुझको तो ।
हाँ ये ज़ख्म अमानत हैं मेरे कल की ,
ज़ख्मों से ही प्यार मिला है मुझको तो ।
जिन रिश्तों को सबसे ज़्यादा मान दिया ,
उनसे ही दुत्कार मिला है मुझको तो ।
सपने तो सपने हैं छोड़ो सपनों को ,
अपनों से अंगार मिला है मुझको तो ।
दरिया मुझको छोड़ के बढ़ता जाता है ,
साहिल का किरदार मिला है मुझको तो ।
सच पूछो तो शामिल नाव डुबोने में ,
अपना ही पतवार मिला है मुझको तो ।
सोनी क्या उम्मीद किसी से अब रखना ,
फूलों से भी ख़ार मिला है मुझको तो ।