श्रीनगर: घाटी के हालात सामान्य बनाने की प्रक्रिया के बीच आतंकी साजिश की आशंकाएं खत्म नहीं हुई हैं. इसी के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने 26 जुलाई को घाटी का दौरा किया था. इसके अगले दिन राज्य में 10 हजार अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गयी. राज्य में अमरनाथ यात्रा को लेकर अर्द्धसैनिक बलों के 40 हजार जवान पहले ही तैनात थे. गुरुवार को और 28 हजार सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी. इस बीच शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा के रास्ते में बारूदी सुरंग और अमेरिकी स्नाइपर मिले. इससे साफ हो गया कि खुफिया एजेंसियों को सात दिन पहले आतंकी हमलों की साजिश की जो भनक मिली थी, वह बेबुनियाद नहीं थी.
बहरहाल, 10 हजार अतिरिक्त फोर्स की तैनाती को पहले जहां धारा 35ए को हटाने की प्रक्रिया से जोड़ कर देखने की कोशिश की जा रही थी, वहीं अब इसे आतंकियों के विरुद्ध फाइनल असाल्ट या फिर एलओसी पार आतंकियों के ठिकानों पर एक बार फिर अंतिम प्रहार करने की योजना से जोड़ा जा रहा है. गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल के दौरे के बाद सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत कश्मीर में कैंप कर रहे हैं. वहीं, कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ ही स्थानीय कश्मीर पुलिस को अधिकतर स्थानों से हटा लिया गया है. मात्र नाकों पर उनकी तैनाती की गयी है.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शुक्रवार रात को कहा कि अमरनाथ यात्रा को बीच में रोकने को अन्य मुद्दों के साथ जोड़कर ‘‘अनावश्यक भय’ पैदा किया जा रहा है. उन्होंने राजनीतिक नेताओं से अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने तथा ‘‘अतिशयोक्तिपूर्ण अफवाहों’ पर भरोसा ना करने के लिए कहने का अनुरोध किया. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के प्रमुख शाह फैसल और पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन तथा इमरान रजा अंसारी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की. राजभवन से जारी एक बयान के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल ने सरकार द्वारा जारी किए परामर्श समेत दिन में हुए घटनाक्रमों से कश्मीर घाटी में भय की स्थिति पैदा होने के बारे में चिंताएं जतायी. बयान में कहा गया है कि राज्यपाल मलिक ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि सुरक्षा एजेंसियों के पास अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमलों के संबंध में गंभीर और विश्वसनीय सूचनाएं हैं. इस संदर्भ में सरकार ने परामर्श जारी कर यात्रियों और पर्यटकों से जल्द से जल्द लौटने के लिए कहा है. मलिक ने कहा कि इस कदम को अन्य सभी तरह के मुद्दों से जोड़कर ‘‘अनावश्यक भय’ उत्पन्न किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विशुद्ध रूप से सुरक्षा के नजरिये से उठाये गये. इस कदम को उन मुद्दों से जोड़ा जा रहा है जिसका इससे कोई संबंध नहीं है. यही भय की वजह है. उन्होंने नेताओं से अपने समर्थकों से मामलों का घालमेल ना करने, शांति बनाए रखने और अतिशयोक्तिपूर्ण अफवाहों पर भरोसा ना करने के लिए कहने का अनुरोध किया. बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने बारामूला में श्रीनगर में अनुच्छेद 35ए पर मामलों को खुद सफाई दी थी. मलिक नेबारामूला और श्रीनगर में कहा था कि जम्मू कश्मीर को विशेष शक्तियां देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए को रद्द करने की कोई योजना नहीं है.