तेघरा,बेगूसराय :जिला प्रशासन एवं समेकित बाल विकास परियोजना , स्वास्थ्य विभाग एवम ग्राम पंचायत स्वयं सहायता समूह, आध्यात्म गुरु के सामूहिक सहयोग से बच्चों का स्वास्थ्य, पोषण एवं देखभाल के अलावा सामाजिक वातावरण की गुणवत्ता में सुधार हेतु खुशहाल बचपन अभियान चलाया जा रहा है इसी के सफलता के लिए आज प्रखंड की 25 सेविकाओं को खुशहाल बचपन अभियान का कार्यशाला का आयोजन किया गया।आज के कार्यक्रम “खुशहाल बचपन अभियान” कार्यकाल का आयोजन प्रखंड प्रियोजना कार्यालय में किया गया।इस अभियान की शत प्रतिशत सफ़लता को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता सीडीपीओ प्रतिमा आचार्य ने किया उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान कहा की खुशहाल बचपन का मतलब हे बच्चो का सर्वांगिग विकास जो उनके पोषण ,शैक्षिक और सामाजिक विकास देगा।इसमें सेविकाओं बहुत अहम भूमिका रहेगी।बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण एवं देखभाल के अलावा सामाजिक वातावरण की गुणवत्ता में आंगनबाड़ी सेविकाओं की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण: पिरामल के अभिषेक तिवारी ने उपस्थित सेविकाओं से कहा कि बच्चे देश के भविष्य होते हैं। बच्चों के शुरुआती दौर के छः वर्षों को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि इन वर्षों में विकास की दर विकास के किसी भी अन्य चरणों की तुलना में अधिक तीव्र होती है। ऐसा देखा गया है कि अधिकतम छः वर्ष तक के बच्चों के मस्तिष्क का विकास कम से कम 90% तक हो गया रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के शिशु और 5 वर्ष से कम आयु के मृत्यु दर में काफ़ी कमी आई है। जबकिं 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे एनीमिक हैं और 5 वर्ष से कम की आबादी का एक तिहाई आबादी नाटा एवं कम वजन का होता है। इन प्रारंभिक वर्षों में आपके बच्चों का स्वास्थ्य, पोषण, देखभाल की गुणवत्ता के साथ ही सामाजिक वातावरण की गुणवत्ता में आंगनबाड़ी सेवाएं काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।पिरामल के दीपक मिश्रा ने कहा कि खुशहाल बचपन अभियान समेकित बाल विकास परियोजना एवं पिरामल फाउंडेशन की ओर से एक सांझा सार्थक पहल है, जो प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के सिद्धांतों पर आधारित है। क्योंकि इसमें सुरक्षात्मक, सक्षम एवं स्वच्छ वातावरण में सुरक्षित देखभाल, स्वास्थ्य, पोषण, खेल और प्रारंभिक शिक्षा के तत्वों को गुणात्मक सुधार के लिए शामिल किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों के समग्र विकास के लिए एक मजबूत नींव तैयार करना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए एक उत्तरदायी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। कोविड-19 के बाद आंगनबाड़ी केंद्रों में सुधार लाने के उद्देश्य से ज़िले के चार प्रखंडों के 100 आंगनबाड़ी केंद्रों यथा- बरौनी के 25, तेघरा के 25, मानसूरचक के 25, भगवानपुर के 25,आंगनबाड़ी केंद्रों का चयन किया गया हैइस अवसर पर पिरामल फाउंडेशन के प्रतिनिधि अभिषेक तिवारी, ,दीपक मिश्रा ,पोषण अभियान के प्रखंड समन्वयक ,,,,, कुमार, सभी महिला पर्वेक्षिका सुनीता कुमारी, राधा कुमारी,सविता कुमारी ,प्रमिला सिन्हा,आरती कुमारी , उपस्थित थे।