बिस्कुट लेकर खदान में भूखे पेट ड्यूटी पर करते यूसिल के माइनस कर्मी!
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जादूगोड़ा माइंस कैंटीन का टेंडर खत्म, मजदूरों के हंगामे के बाद का कंपनी प्रबन्धन ने बिस्कुट बाट मामले को किया शांत
जादूगोड़ा ;सरकारी प्रावधान के अनुसार यूसिल कम्पनी कर्मियों को कैंटीन की सुविधा देनी है। इधर अधिकारियों की निष्क्रियता से जादूगोड़ा माइंस का कैंटीन का टेंडर खत्म हो गया व नए टेंडर की।प्रक्रिया में लेट _ लतीफी की वजह से जादूगोड़ा माइंस की कैंटीन सुविधा बंद हो गई।इधर नाश्ता न मिलने से माइनस कर्मचारियों ने विरोध_ प्रदर्शन कर अपने गुस्से का इजहार किया। अंत में कंपनी प्रबंधन ने मजदूरों के बीच बिस्कुट वितरण कर आंदोलन की शांत कराया। यहां बताते चले कि यूसिल कर्मी कैंटिन के भरोसे ड्यूटी करते है ।कैंटीन बंद होने से कंपनी कर्मियों को भूखे पेट खदान में पत्थरों से लड़ना पड़ता है तब जाकर यूरेनियम का उत्पादन होता है। ऐसे में कितने दिन यूसिल कर्मी भूखे पेट ड्यूटी कर पाएंगे ।जरूरत है उत्पादन व सुरक्षा से जुडी कैंटीन को व्यवस्थित करने की ताकि कोई भी मजदूर भूखे पेट काम में जाने से बचा जा सके।इधर इस बाबत पूछे जाने पर यूसिल के डिप्टी मैनेजर तपोधीर भट्टाचार्य। कहते है कि अगले 20 दिनों के कैंटीन विस्तार को मंजूरी को लेकर प्रस्ताव कंपनी के वरीय अधिकारियों के समक्ष भेजी गई है। फिलहाल मंजूरी के बाद ही कैंटीन दोबारा चालू हो पाएगी। बहरहाल देखना यह है कि कैंटीन का विस्तार मिलने में कितना वक्त लगता है व मजदूरों को भूखे पेट कब तक यूरेनियम का उत्पादन से जूझना पड़ता है यह गौर करने वाली बात होगी जिस ओर कंपनी ओर कंपनी प्रबंधन को मजदूरों के हित में इंसानियत के दृष्टिकोण से सोचने है न कि मजदूर व मालिक के हिसाब से।