विपक्षी एकता में हो रही है खींचतान
नीतीश कुमार बड़े लगन से विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास में लगे हैं। लेकिन विपक्षी दलों की आपसी खींचतान के संकेत भी सामने आने लगे हैं। अध्यादेश पर विपक्ष का समर्थन मांगने वाले AAP नेता अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस ने ठेंगा दिखा दिया है तो बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस के एकमात्र विधायक को झटक लिया है।
विपक्षी एकता बनने से पहले ही बिखरने लगी है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के एकता प्रयास के फ्लाप होने के रुझान अभी से आने लगे हैं। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने विधानसभा में कांग्रेस के एकमात्र एमएलए को अपने पाले में कर लिया। पंजाब और दिल्ली के अपने नेताओं की भावनाओं को देखते हुए अध्यादेश पर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) को समर्थन देने से मना कर दिया है। इन सबके बीच नीतीश कुमार पटना में विपक्षी दलों की बैठक की तैयारी में जुटे हैं। बैठक की तारीख 12 जून तय कर दी गई है।
बंगाल में कांग्रेस एमएलए को टीएमसी ने तोड़ा
ममता बनर्जी कांग्रेस के करीब आने की बात भले ही करने लगी हैं, लेकिन उसे नेस्तनाबूद करने का कोई मौका भी नहीं छोड़ रही हैं। सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीते वाम समर्थित बायरन विश्वास को ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने अपने पाले में कर लिया है। इसके साथ ही विधानसभा में कांग्रेस नेस्तनाबूद हो गई। ममता ने यह कदम तब उठाया है, जब देश में विपक्षी एकता की बात चल रही है। नीतीश कुमार एकता मिशन की अगुआई कर रहे हैं। पटना में 12 जून को विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है। ममता ने विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस के करीब आने का नीतीश कुमार को भरोसा दिलाया था।
ममता बनर्जी कांग्रेस की जीत पर थीं नाराज
सागरदिघी सीट तृणमूल कांग्रेस की थी। दूसरा कि इस चुनाव क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों की बहुलता है और वे टीएमसी के समर्थक रहे हैं। मुसलमानों के वोट से विधानसभा चुनाव में बाजी मारने वाली ममता बनर्जी को यह कत्तई पसंद नहीं कि उनके वोट दूसरे किसी दल को जाएं। बीजेपी से ममता अगर पंगा लेती रही हैं तो इसके पीछे मुसलमानों में उनकी मजबूत पैठ मानी जाती है। ममता यह नहीं चाहेंगी कि उनके वोट आधार में किसी तरह का छीजन हो। विपक्षी एकता के नाम पर वे जड़ से उखड़ चुके कांग्रेस और वाम दलों के लिए बंगाल में कोई स्कोप नहीं रहने देना चाहतीं। यही वजह है कि ममता ने विपक्षी एकता मिशन में साथ रहने का भरोसा दिलाने के बावजूद कांग्रेस एमएलए को अपने पाले में कर लिया।
अध्यादेश पर ‘आप’ को कांग्रेस का समर्थन नहीं
दूसरे विपक्षी दलों से अलग राह चलने वाली आम आदमी पार्टी को केंद्र सरकार के सेवा अध्यादेश से झटका लगा तो अरविंद केजरीवाल को विपक्षी एकता की याद आई। वे एनसीपी के नेता शरद पवार, शिवसेना (ठाकरे गुट) के नेता उद्धव ठाकरे और टीएमसी की ममता बनर्जी से मिले। बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने के संकल्प के साथ देश भर में घूम रहे जेडीयू के नेता नीतीश कुमार और आरजेडी के तेजस्वी यादव ने भी केजरीवाल का इस मुद्दे पर साथ देने का वादा किया है। इधर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर केजरीवाल के साथ पार्टी खड़ी नहीं होगी। इसका विरोध पंजाब और दिल्ली के कांग्रेस नेताओं ने किया तो बात पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे तक पहुंची। अब कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि आप के साथ अध्यादेश के खिलाफ वह नहीं जाएगी।