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    भारत में आंतकवाद के प्रयोजन का मतलब

    News DeskBy News DeskMay 23, 2025No Comments5 Mins Read
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    भारत में आंतकवाद के प्रयोजन का मतलब
    प्रोफेसर केपी शर्मा
    भारत एक वार माओ वादी उग्रवाद जिसे उसके जन्मस्थान से नक्सली आंदोलन के नाम से जानते हैं का शिकार हुआ,इसका प्रयोजन हिंसा के सहारे भारत में साम्यवाद की स्थापना थी ।एक समय था कि भारत का बहुत अच्छा पढ़ा लिखा नौजवान इसमें शरीक थे।
    मार्क्स का सिद्धांत उनका प्रेरणा श्रोत था
    कुछ दिनों तक यह हिंसक स्वरूप अपनाकर अपने उद्देश्य पूर्ति करने में नहीं झिझके,खुन खरावा दोनों ओर से हुआ नक्सलवादी नौजवानों और पुलिस के द्वारा हिंसा का दौर बंगाल, आंध्र, बिहार सभी जगह चले।
    वास्तविकता थी कि नवजवान सिद्धांत के नाम पर भटक गये थे।
    यह आंदोलन जहां से और जिनके निर्देश पर यह आंदोलन चल रहा था वह देश था चीन और अमेरिका था।आप अमेरिका का नाम आने से जरूर चौंके होगें लेकिन मैं आगे इसे स्पष्ट कर दूंगा।
    चीन का उद्देश्य भारत में मार्क्सवाद की स्थापना नहीं था वल्कि भारत को अस्थिर और कमजोर करना था,चीन ने खुद सीधी कार्रवाई कर 1959 में भारत के संरक्षित राज्य तिब्बत को तथा 1962 पर आक्रमण कर भारत को पददलित किया तथा असंलगन आंदोलन के सम्मेलनों में चाऊ एनलाई ने वाडुंग सम्मेलन में लंका के विदेश मंत्री जान कोटवाला से नेहरू का विरोध करवाया वास्तव में यह लड़ाई ऐशियाई नेतृत्व का था जवाहरलाल नेहरू ज्यादा पोपुलर थे तथा एशिया और असंलगन गुट के राष्ट्रों के नेता थे। इसी कारण 1959,62 का आक्रमण भी भारत पर हुआ था।
    अब अमेरिका की भूमिका कोभी समझना पड़ेगा।
    अमेरिका और सोवियत रूस में विश्व के नेतृत्व कि लड़ाई थी,रुस साम्यवादी देशों का और साम्यवादी आंदोलन का नेता था तथा अमेरिका पूंजीवादी और पश्चिमी शक्तियों का नेतृत्व करता था इस प्रकार यह लड़ाई द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्ति के साथ साथ शीतयुद्ध में परिवर्तित हो चुका था। अमेरिका साम्यवादी आंदोलन को कमजोर करना और उसमें फूट डालना चाहता था इसके लिए उसे भारत की भूमि और नक्सल आंदोलन कारी नेतृत्व वर्ग जो वाद में आई पी एफ के नाम से जाना जाता है इनको अपने धन शक्ति से उपकारित किया।
    भारत में अकाल और अन्न की कमी को पुरा करने को अमेरिका गेंहू की आपूर्ति पी एल 480 योजना के अंतर्गत करता था और उसका भुगतान भारतीय रुपयों में लेता था चूंकि भारत डालर दे नहीं सकता था। अमेरिका केलिए समस्या थी कि वह भारत के रुपए का क्या करें उसने इस रुपए का उपयोग साम्यवादियों के बीच फूट डालने और भारत में अव्यवस्था फैलाने केलिए किया। अमेरिका ने एक तीर से दो शिकार किए उन्होंने आई पी एफ से समझौता किया कि तुम्हारा नेता चीन है न कि रुस इसलिए हिंद महासागर में रुस का विरोध करो तथा भारत में जो करना है करो,नक्सल नेताओं ने वही किया तथा भारत में अपना राजनीतिक दल भी बनाये और यह काम अमेरिका के भारत में पी एल 480 के पैसे से हुआ। एक वार मैं हजारीबाग जिले के मांडू क्षेत्र में पदयात्रा पर था इन लोगों के मुझे घेरा तथा आगे जाने से रोका एवं मुझे प्रश्नों का उत्तर देने को बाध्य किया मैंने उत्तर दिया वे संतुष्ट होगये मेरा परिचय जान कर वे काफी खुश हुए जब मैं ने उनके नेता, पार्टी गठन में अमेरिका की भूमिका बताया तो उन्हें नहीं मालूम था हिन्द महासागर में रुस के विरोध उनकी पार्टी करती है,यह भी पता नहीं था।
    यहां मेरे लिखने का तात्पर्य यह है कि भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध करने भारत में हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने में अमेरिका,चीन साथ रहे हैं।

     

    नक्सली आंदोलन के कमजोर हो ने और पथभ्रष्ट होते ही भारत को पाकिस्तान प्रायोजित मुस्लिम जेहादियों के हिंसक कार्यवाहियों से लहुलुहान कर रखा है।
    ऐसी स्थिति को समझने केलिए पुनः हमें पश्चिमी राष्ट्रों एवं चीन की भूमिका को समझना पड़ेगा क्योंकि नक्सली आंदोलन के पिछे और आज जेहादी आंतकवाद के पिछे वहीं अंतरराष्ट्रीय संडयंत्र है।
    यहां मैं इजरायल और भारत की स्थिति को भी समझेंगे। इजरायल की स्थापना का सिर्फ एक उद्देश्य था कि उसको अपने मातृभूमि पर सिर्फ अधिकार दिलाना नहीं था वल्कि मध्य पूर्व और अरव दुनिया को इजरायल के माध्यम से उलझा कर रखना था जो आज हमारे सामने है।
    पाकिस्तान का निर्माण भी पश्चिमी दुनिया के द्वारा भारत जो एक सोई हुई शक्ति है उसे साधने और हमेशा युद्ध आंतकवाद में उलझायें रखने का खेल चल रहा है 1948,1965,1971,1999,2025 का पाकिस्तान की कार्यवाही अमेरिका, यूरोप और चीन के पाकिस्तान को सहारा देकर भारत के साथ लगातार युद्ध की स्थिति में है, पाकिस्तान को अणु सम्पन्न राष्ट्र चीन ने बनाया, हथियारों से अमेरिका ने लैस किया अभी युद्ध काल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से ऋण अमेरिका ने दिलाया।
    सबसे बड़ी बात अमेरिका ने हमेशा पाकिस्तान में सैनिक तानाशाही बनाये रखा।
    रुस को अफगानिस्तान से भगाने केलिएअमेरिका के द्वारा आंतकवाद वादी सेना का गठन हथियार, पैसा देकर करवाया, और भारत को अस्थिर करने केलिए इन्हें भारत की ओर जेहादी नारों के साथ लगा दिया है यहां तक की बंगलादेश और पहलगाम की घटनाओं की शैली नारे और लोगों की ट्रेनिंग ऐक जैसी है।
    जेहादी नारे के साथ भारत में आक्रमण के पिछे कारण है भारत के मुस्लिम आबादी को धार्मिक नारे के आधार पर साथ लिया जाए, भारत में गृहयुद्ध हो और भारत हमेशा अस्थिर राज्य बना रहे।
    ऐसी स्थिति में भारत को इतना शक्तिशाली बनाना पड़ेगा कि किसी षड्यंत्र कारी का कोई षड्यंत्र न चले।

    भारत में आंतकवाद के प्रयोजन का मतलब
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