Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
      • दैनिक ई-पेपर
      • ई-मैगजीन
      • साप्ताहिक ई-पेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » भारत-बांग्लादेश संबंधों में लगातार बढ़ रही दूरी चिंताजनक
    Breaking News Headlines अन्तर्राष्ट्रीय उत्तर प्रदेश ओड़िशा खबरें राज्य से झारखंड पश्चिम बंगाल बिहार राजनीति राष्ट्रीय संपादकीय

    भारत-बांग्लादेश संबंधों में लगातार बढ़ रही दूरी चिंताजनक

    News DeskBy News DeskMay 23, 2025No Comments5 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    भारत-बांग्लादेश संबंधों में लगातार बढ़ रही दूरी चिंताजनक
    देवानंद सिंह
    17 मई 2025 को भारत सरकार ने बांग्लादेश से आने वाले कई अहम उत्पादों पर नई व्यापारिक पाबंदियां लगाकर एक ऐसा कदम उठाया है, जिसे केवल आर्थिक फैसले के रूप में देखना नासमझी होगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अब रेडीमेड गारमेंट्स, प्रोसेस्ड फूड आइटम्स, प्लास्टिक उत्पाद और लकड़ी का फर्नीचर जैसी वस्तुएं लैंड पोर्ट्स के माध्यम से भारत में प्रवेश नहीं कर सकेंगी। यह बदलाव ऐसे समय पर आया है, जब हाल ही में भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा भी समाप्त कर दी थी। इस निर्णय ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों की गहराई और संवेदनशीलता को एक बार फिर सामने ला दिया है।

    आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत-बांग्लादेश के बीच कुल व्यापार 14 अरब डॉलर रहा, जिसमें बांग्लादेश का निर्यात मात्र 1.97 अरब डॉलर था। बांग्लादेश के लिए रेडीमेड गारमेंट्स उसका सबसे बड़ा निर्यात उत्पाद है, जिससे उसे कुल निर्यात आय का लगभग 83% प्राप्त होता है। भारत सरकार के नए आदेश से बांग्लादेश से होने वाले 770 मिलियन डॉलर के आयात पर प्रभाव पड़ा है, जो द्विपक्षीय आयात का लगभग 42% है।

    अब रेडीमेड गारमेंट्स केवल कोलकाता और न्हावा शेवा बंदरगाहों से ही भारत में आ सकेंगे। इसका सीधा अर्थ है कि पूर्वोत्तर भारत में भूमि मार्ग से होने वाले व्यापार पर असर पड़ेगा। इन क्षेत्रों में बांग्लादेशी उत्पादों की मांग अधिक रही है, और कई कंपनियों ने यहां निवेश की योजना भी बनाई थी। भारतीय कपड़ा उद्योग विशेषकर एमएसएमई क्षेत्र लंबे समय से बांग्लादेशी परिधानों की डंपिंग से परेशान रहा है। भारतीय उत्पादक यह शिकायत करते रहे हैं कि बांग्लादेश को ड्यूटी-फ्री चीनी कपड़ा और सब्सिडी का लाभ मिल रहा है, जिससे वे भारतीय बाज़ार में 10-15% सस्ती दरों पर वस्त्र बेचते हैं। क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष संतोष कटारिया ने इस निर्णय को भारतीय उद्योग के लिए समय पर लिया गया कदम बताया है, जबकि टेक्सटाइल इंडस्ट्री के चेयरमैन राकेश मेहरा ने इसे बांग्लादेश द्वारा हाल ही में भारत से कॉटन यार्न के निर्यात पर लगाई गई रोक का रणनीतिक जवाब बताया है।

    यह बात ध्यान देने योग्य है कि अप्रैल 2025 में बांग्लादेश ने भारत से कॉटन यार्न का आयात बंद कर दिया था, जबकि भारत की कॉटन यार्न आपूर्ति का लगभग 45% हिस्सा बांग्लादेश जाता था। ऐसे में, भारत का यह प्रतिबंध किसी भी रूप में एकतरफा नहीं है, बल्कि पारस्परिक प्रतिक्रियात्मक नीति का हिस्सा प्रतीत होता है। बांग्लादेशी निर्यातकों का मानना है कि लैंड पोर्ट्स की तुलना में समुद्री मार्ग से कपड़े भेजना न केवल महंगा है बल्कि इसमें अधिक समय भी लगता है। इससे न केवल बांग्लादेशी निर्यातकों को, बल्कि भारतीय आयातकों को भी नुकसान होगा। विशेषज्ञ इस नीति को दोनों देशों के लिए विघटनकारी मानते हैं।

    विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को बांग्लादेश का कुल निर्यात भले ही बहुत अधिक न हो, लेकिन यह बांग्लादेश के लिए एक महत्त्वपूर्ण बाज़ार है, खासकर तब जब उसके पास उत्पाद विविधता और वैकल्पिक बाजारों की कमी है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि समुद्री मार्ग से निर्यात करने की लागत कई गुना बढ़ जाती है, जो छोटे और मध्यम निर्यातकों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है, हालांकि ये निर्णय आर्थिक प्रतीत होते हैं, लेकिन इनका कूटनीतिक पक्ष कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह मुद्दा अब केवल व्यापारिक नहीं रह गया है।  हाल ही में बैंकॉक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की मुलाकात के बाद भी भारत का यह कदम चौंकाने वाला है, और यह संकेत देता है कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में अंतर्निहित अस्थिरता गहराती जा रही है।

    जीटीआरआई की रिपोर्ट में भी यही संकेत हैं। रिपोर्ट कहती है कि बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार चीन के क़रीब जा रही है और हाल ही में उसने चीन से 2.1 अरब डॉलर के निवेश समझौते किए हैं। भारत की व्यापारिक प्रतिक्रिया को बीजिंग के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की एक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। दक्षिण एशिया में भारत की प्राथमिकताओं में चीन की चुनौती सबसे ऊपर है, और पड़ोसी देशों के माध्यम से उसकी क्षेत्रीय घेराबंदी भारत को विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है। भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक द्वंद्व को केवल आर्थिक असंतुलन से उत्पन्न समस्या मानना अधूरा विश्लेषण होगा। यह एक बहुस्तरीय कूटनीतिक कथा है, जिसमें रणनीतिक, राजनीतिक और सुरक्षा-संबंधी पहलू गहराई से जुड़े हुए हैं।

    ऐसे में, दोनों देशों के नीति-निर्माताओं को व्यापारिक मतभेदों को राजनीतिक संवाद से हल करने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। आपसी संदेह और प्रतिकार की जगह विश्वास और सहयोग को पुनः स्थापित करना ही एकमात्र दीर्घकालिक उपाय है। भारतीय नीति-निर्माताओं को यह समझना होगा कि बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत के लिए न केवल एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से एक कड़ी भी है। वहीं बांग्लादेशी नेतृत्व को भी चीन के साथ बढ़ते संबंधों के संतुलन में भारत के प्रति पारदर्शिता और विश्वास को प्राथमिकता देनी होगी।

    भारत-बांग्लादेश व्यापार विवाद को यदि जल्द और संवाद से हल नहीं किया गया, तो इसका असर सिर्फ़ वस्त्रों और फर्नीचर तक सीमित नहीं रहेगा। यह दोनों देशों के सामाजिक, राजनीतिक और रणनीतिक संबंधों को भी प्रभावित करेगा। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह निर्णय केवल अस्थायी संतुलन का माध्यम है या एक स्थायी कूटनीतिक बदलाव की भूमिका निभाने वाला मोड़। ऐसे दौर में, जहां वैश्विक व्यवस्था लगातार बदल रही है, भारत और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को अपने संबंधों को साझे हित और साझा भविष्य के आधार पर पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है, इससे पहले कि व्यावसायिक मतभेद व्यापक भू-राजनीतिक दरारों में बदल जाएं।

    भारत-बांग्लादेश संबंधों में लगातार बढ़ रही दूरी चिंताजनक
    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleभारत में हो रहे विकास कार्यों को देखकर दुनिया भी हैरान: मोदी
    Next Article भारत में आंतकवाद के प्रयोजन का मतलब

    Related Posts

    डा सुधा नन्द झा ज्यौतिषी जमशेदपुर झारखंड द्वारा प्रस्तुत राशिफल क्या कहते हैं आपके सितारे देखिए अपना राशिफल

    May 23, 2025

    राष्ट्र संवाद हेडलाइंस

    May 23, 2025

    हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का अंतिम संस्कार: जब पूरी क्लास फेल होती है, तो सिस्टम अपराधी होता है।

    May 23, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    डा सुधा नन्द झा ज्यौतिषी जमशेदपुर झारखंड द्वारा प्रस्तुत राशिफल क्या कहते हैं आपके सितारे देखिए अपना राशिफल

    राष्ट्र संवाद हेडलाइंस

    हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का अंतिम संस्कार: जब पूरी क्लास फेल होती है, तो सिस्टम अपराधी होता है।

    भारत में आंतकवाद के प्रयोजन का मतलब

    भारत-बांग्लादेश संबंधों में लगातार बढ़ रही दूरी चिंताजनक

    भारत में हो रहे विकास कार्यों को देखकर दुनिया भी हैरान: मोदी

    प्रधानमंत्री ने भारत के सम्मान से समझौता किया: राहुल

    भारत के हक का पानी नहीं मिलेगा पाकिस्तान को: प्रधानमंत्री मोदी

    जनता मध्य विद्यालय छोटागोविन्दपुर जमशेदपुर में चार अतिरिक्त वर्गकक्ष निर्माण कार्य का हुआ शिलान्यांस

    मुख्तार अंसारी के आकस्मिक निधन पर पहुंचे झारखंड विधानसभा अध्यक्ष, दिया सांत्वना

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.