सूर्य सिंह बेसरा का आह्वान फिर एक बार हूलगुलान
झारखंड मुक्ति मोर्चा चुप्पी तोड़ो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुर्सी छोड़ो
झारखंडियों कि 5 सूत्री मांगें: सूर्य सिंह बेसरा
1. भोजपुरी मगही और अंगिका भाषा की मान्यता रद्द करो और झारखंडी भाषा को मान्यता दो
2. 1932 की खतियान मूलवासी की पहचान के आधार पर स्थानीय नीति निर्धारित करो
3. संविधान के अनुच्छेद 371 डी आंध्र प्रदेश के तर्ज पर नियोजन नीति लागू करो
4. पेसा कानून 1996 को लागू करो
5. झारखंड आंदोलनकारी सेनानियों को चिन्हित करने के लिए जेल जाने की बाध्यता खत्म करो और उन्हें सबको समान प्रतिमाह ₹30,000 पेंशन लागू करो
-:चरणबद्ध आंदोलनात्मक कार्यक्रम:-
10 फरवरी- को संपूर्ण झारखंड क्षेत्र में मशाल जुलूस एवं विधायकों से लेकर मंत्री एवं मुख्यमंत्री का पुतला दहन
28 फरवरी- को ग्रामसभा से लेकर विधानसभा तक मानव श्रृंखला
14 मार्च- को झारखंड विधान सभा के समक्ष प्रदर्शन घेरा डालो डेरा डालो
ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन आजसू के संस्थापक सहा झारखंड राज्य निर्माण कर्ताओं में से एक जिन्होंने रिश्वत और परिषद कि प्रस्ताव को ठुकराते हुए तत्कालीन अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 1991 में कहां था की मेरी लाश पर झारखंड बनेगा उसका प्रतिवाद करते हुए एकमात्र विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक पद पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व विधायक ने कहां है की झारखंड मुक्ति मोर्चा 2019 के विधानसभा चुनाव में घोषणा पत्र जारी किया था और वादे भी किए थे अपने 2 वर्षों की शासनकाल में लागू करने में विफल साबित हुई है ऐसी परिस्थिति में झारखंडी जन आकांक्षाओं के साथ विश्वासघात करने तथा शहीदों के अरमानों को कुठाराघात करने की दोषारोपण में नैतिकता के आधार पर निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार के तहत अपने विधायक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए साथ ही साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा चुप्पी तोड़ो और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुर्सी छोड़ें यही संकल्प के साथ झारखंड में फिर से उलगुलान चालू अकाना पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने मांग को दोहराते हुए कहा है की 25 फरवरी से लेकर 25 मार्च तक 1 महीने का झारखंड विधानसभा में बजट सत्र होने जा रहा है इस दरमियान झारखंडी जन विरोधी जितने भी झारखंड मुक्ति मोर्चा एवं कांग्रेस आई गठबंधन सरकार ने अधिनियम बनाई है जैसे भोजपुरी मगही एवं अंगिका भाषा की मान्यता को अविलंब रथ कर झारखंडी भाषा क्रमशः संताली मुंडारी हो कुरुख खड़िया नागपुरी कुड़माली खोरठा एवं पंचपड़गानिया भाषाओं को संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत राजभाषा का दर्जा दिया जाए साथ ही साथ 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति निर्धारित करें साथ ही साथ संविधान के अनुच्छेद 371d में प्रावधान आंध्र प्रदेश के तर्ज पर झारखंड में नियोजन नीति लागू किया जाए तथा पेशा कानून 996 लागू कर ग्रामसभा को सशक्त चित्रण किया जाए साथ ही साथ झारखंड आंदोलनकारी सेनानियों को चिन्हित के लिए जेल जाने की बाध्यता को खत्म किया जाए तथा उन्हें प्रतिमा ₹30,000 पेंशन निर्धारित किया जाए ा
झारखंड की राजनीति गरमाई,सूर्य सिंह बेसरा का आह्वान फिर एक बार हूलगुलान
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