राजदीप सरदेसाई और शशि थरूर के ख़िलाफ़ देशद्रोह का केस दर्ज
उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस ने बीते मंगलवार दिल्ली में हिंसा होने के मामले में 8 लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है.
इन लोगों पर 153 –A, 153 – B, 295 – A, 298, 504, 506, 505 (2), 124 – A, 34, 120 – B और 66 जैसी धाराएं लगाई गई हैं.
इस एफ़आईआर में शिकायतकर्ता ने कहा है कि ”एक षड्यंत्र के तहत सुनियोजित दंगा कराने और लोकसेवकों की हत्या करने के उद्देश्य से इन लोगों ने राजधानी में हिंसा और दंगे कराए. प्रदर्शनकारियों को 26 जनवरी, 2021 को गणतंत्र दिवस परेड के पश्चात निश्तित मार्ग प्रदान करते हुए और शांति व्यवस्था बनाए रखने की बात कहते हुए विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी गई थी.”
”परंतु कुछ उपद्रवी तत्वों द्वारा उपर्युक्त अनुमति व निर्धारित मार्ग का उल्लंघन करते हुए अपनी माँगों को जबरदस्ती मनवाने के आशय से कानून तोड़ते हुए पुलिस कर्मियों को बुरी तरह से घायल कर दिया और लोकसंपत्ति को भी बहुत क्षति पहुंचाई.”
एफ़आईआर में कहा गया है कि ”श्रीमती मृणाल पांडेय, जफर आगा, परेशनाथ, अनंत नाथ व विनोद के जोस अपने समाचार पत्र मैगजीन और उनके डिजिटल प्रसारण और सोशल मीडिया पर पोस्ट हेतु पूर्णतया उत्तरदायी है.”
एफ़आईआर में कहा गया है कि “इन लोगों ने जानबूझकर इस दुर्भावनापूर्ण अपमानजनक, गुमराह करने वाले और उकसाने वाली ख़बर प्रसारित की. अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि पुलिस द्वारा आंदोलनकारी एक ट्रैक्टर चालक की हत्या कर दी. यह एक ज्ञात तथ्य है कि उपद्रवी तत्वों द्वारा उकसाने वाली कार्यवाही तथा बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को घायल कर देने के बाद भी पुलिस बल द्वारा संयम का परिचय देते हुए व्यवसायिक दक्षता के साथ उन उपद्रवी लोगों को शांत कराया गया.”
”इसके बावजूद नामित अभियुक्तिगण द्वारा पारस्परिक सहयोग और एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत यह ग़लत जानकारी प्रसारित की कि एक आंदोलनकारी को पुलिस ने गोली मार दी. यह जानबूझकर इस दूषित आशय से किया गया कि बड़े पैमाने पर दंगे हों और विभिन्न समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो. इन दंगों तथा धार्मिक तनाव का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगे देश पर भी पड़ना स्वाभाविक होता.”
”नामित अभियुक्तिगण द्वारा प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाने और अपने राजनैतिक व व्यक्तित लाभ के लिए आंदोलनकारियों को भड़काने के उद्देश्य से जानबूझकर ग़लत और गुमराह करने वाली सूचना का प्रसारण किया गया. इनके ट्वीट्स् से उत्पन्न माहौल के कारण प्रदर्शनकारी लाल किले के परिसर तक पहुंच गए. और वहां धार्मिक व अन्य झंडे लगा दिए जहां भारत का राष्ट्र ध्वज फहराया गया था.”
”भारतीय इतिहास में इस दुर्भावनापूर्ण घटना के लिए नामित अभियुक्तगण पूर्णतया ज़िम्मेदार हैं. लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई केंद्र सरकार के प्रति दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोध की भावना से ही इनके द्वारा इस प्रकार ट्वीट करके ग़लत और भड़काई सूचना प्रसारित की गई.”
”पूर्व में भी इन लोगों द्वारा ऐसे कृत्य किए गए हैं. भारतीय गणतंत्र के 72वें समारोह में देश विदेश के अनेक महत्वपूर्ण व्यक्ति तथा अन्य जनता मौजूद थी. परंतु न अभियुक्तगण ने पुलिस और सशस्त्र बल की छवि ख़राब करने के लिए इस प्रकार के ट्वीट किए. इनके इस कृत्य ने भारतीय गणतंत्र के विरुद्ध विद्रोह, समुदायों के बीच वैमनस्य और दंगों तथा हिंसा के जहरीले बीज बोने का काम किया है.”