आज़ बहुत दिन बाद फेरु एगो मोलाएम भोजपुरी ग़जल रऊआ सभे का आगा ले आवे के दुस्साहस कर रहल बानी ..प्रतीक्षा रही अपने सभे का आशीर्वाद के ..
करेज में के समाइल बा का बताईं हम
इ आँखि काहें लोराइल बा का बताईं हम
दुसर समान जे जाइत त हमहूँ चुप रहिती
हमार चैन बेरहाइल बा का बताईं हम
रहित जे घाव कहीं एक जगह त सहि जइती
कहाँ कहाँ से बेधाइल बा का बताईं हम
खोजल त ख़ूब गईल ह मगर कहाँ मिलल
कहाँ परान हेराइल बा का बताईं हम
रहे दs अब न रोवावs कि बड़ा मुश्किल से
दिले नादान चुपाइल बा का बताईं हम
पता चलल ह जे आई न पीयरवा अजुवो
चुल्हे प भात तंवाइल बा का बताईं हम
हवा के नांव बतावे में डरत बा सभई
दीया इ कइसे बुताइल बा का बताईं हम ..
…… शैलेन्द्र पान्डेय शैल ..