प्रयागराज. महाकुंभ मेले का आज दूसरा दिन है। मकर संक्रांति के पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालु और संत पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान के लिए जुटे हैं। मंगलवार सुबह श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने सबसे पहले अमृत स्नान किया। “हर हर महादेव”, “जय श्री राम” और “जय गंगा मैया” के जयकारों के बीच ठंड की परवाह किए बिना श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई।
सुबह 5:30 बजे से शुरू हुए अमृत स्नान में 13 अखाड़ों के साधु-संत शामिल हुए। श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति पूरे माहौल को दिव्यता से भर रही है। मकर संक्रांति पर महाकुंभ का पहला अमृत स्नान अनादि काल से परंपरा का हिस्सा रहा है। मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अखाड़ों के साधु-संत दिव्य जुलूस के साथ संगम पहुंचते हैं और परंपरा के अनुसार अपने क्रम में स्नान करते हैं।
महाकुंभ का उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं। इसी के चलते हर 12 साल पर इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ 2025 भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का अनूठा प्रतीक है। यह आयोजन न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया को भारतीय परंपरा और आस्था का अनुभव कराता है। इस बार महाकुंभ को विशेष बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 6,990 करोड़ रुपये की लागत से 549 परियोजनाएं लागू की हैं।
मेले में 10,000 एकड़ क्षेत्र को कवर किया गया है, जहां भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए 2,300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि सोमवार को पौष पूर्णिमा पर पहले दिन करीब 1.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया।
महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक प्रबंध किए हैं। राज्य के 40 से अधिक मंत्री देशभर के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जाकर महाकुंभ का न्योता दे चुके हैं। भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा और सुविधाओं के साथ मेले को श्रद्धालुओं के लिए यादगार बनाया जा रहा है। महाकुंभ 2025, भारतीय परंपरा और आस्था के इस महायज्ञ को भव्यता और दिव्यता से परिपूर्ण बना रहा है।