भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंध पहले से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं: जयशंकर
नयी दिल्ली :विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि इतनी अस्थिर और अनिश्चित दुनिया में भारत-यूरोपीय संघ के बीच मजबूत संबंधों का होना ‘‘स्थिरता की दृष्टि से महत्वपूर्ण कारक’’ हो सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच संबंध पहले से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं।
यहां आईआईसी-ब्रूगेल वार्षिक संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने किसी देश का नाम लिए बिना यह भी कहा कि ‘‘हमारे अपने महाद्वीप में, अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना की गई है, जिसके गंभीर परिणाम हुए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि लोकतंत्र और सैन्य शासन जैसे सवाल पर भी पूर्व में हमारे पड़ोसियों और पश्चिम में हमारे पड़ोसियों के लिए अलग-अलग मानदंड लागू किए गए हैं।’’
दूसरी आईआईसी-ब्रूगेल वार्षिक संगोष्ठी चार से 12 फरवरी तक इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में आयोजित की जा रही है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘दुनिया इस समय दो बड़े संघर्षों से गुजर रही है, इन्हें अक्सर सिद्धांत के मामले के रूप में पेश किया जाता है। हमें बताया जाता है कि विश्व व्यवस्था का भविष्य ही दांव पर लगा है। फिर भी, रिकॉर्ड से पता चलता है कि इन सिद्धांतों को कितने चुनिंदा और असमान रूप से लागू किया गया है।’’
अपने संबोधन में उन्होंने व्यापार और डिजिटल प्रौद्योगिकी, जलवायु कार्रवाई तथा भू-राजनीति के साथ उनके अंतर्संबंध के पहलुओं पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि आज विश्व व्यवस्था को और स्पष्ट किये जाने के बारे में चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि जिस आम सहमति के आधार पर यह बनाई गई है, उसने पहले भी बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है।’’
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘हम वास्तव में बहुध्रुवीयता और पुन: संतुलन के दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जितनी जल्दी हम इस वास्तविकता को स्वीकार कर लेंगे, हम सभी के लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका सामना आज भारत और यूरोपीय संघ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि जब हम उचित नीतियों और प्रतिक्रियाओं पर विचार करें, तो बातचीत में ईमानदारी का भाव हो। हमारे हित और मूल्य स्पष्ट रूप से समान हैं, प्राथमिकता और विशिष्टता पर कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जो चीज हमें जोड़ती है वह कहीं अधिक मजबूत भावना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार हम राजनीतिक लोकतंत्र, बहुलवादी समाज और बाजार अर्थव्यवस्थाएं हैं।’’
मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे दोनों पक्ष जारी बदलावों की समीक्षा करेंगे, यह संभावना है कि ‘‘बैठक में चर्चा किये जाने वाले हमारे मुद्दे बढ़ेंगे।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘इसके अलावा, ऐसी दुनिया में जो इतनी अस्थिर और अनिश्चित है, भारत-यूरोपीय संघ के बीच मजबूत संबंध एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।’’ उन्होंने कहा कि भारत निश्चित रूप से पिछले कुछ वर्षों में यूरोप की अधिक रणनीतिक जागरूकता से परिचित है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम पहले से ही ऐसा होते हुए देख रहे हैं, उदाहरण के लिए, रक्षा और सुरक्षा तथा प्रौद्योगिकी सहयोग में। मुख्य बात यह है कि हमारे भारत-यूरोपीय संघ संबंध पहले से भी अधिक महत्वपूर्ण है।’’