एक ऐतिहासिक अवसर है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुवैत यात्रा
देवानंद सिंह
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार यानी 21 दिसंबर से दो दिनों के लिए मध्य पूर्व के तेल समृद्ध देश कुवैत की यात्रा पर गए हैं। 43 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री की यह कुवैत की पहली यात्रा है। 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कुवैत की यात्रा पर गईं थी। हालांकि, तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी साल 2009 में कुवैत दौरे पर जा चुके हैं।प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले दोनों देशों के विदेश मंत्री भी आपस में मिले थे, लेकिन इंदिरा गांधी के बाद किसी प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है। चार दशक से भी अधिक समय बाद किसी प्रधानमंत्री का कुवैत दौरे पर जाना निश्चित रूप से भारतीय राजनीति और कूटनीति के संदर्भ में एक ऐतिहासिक घटना कही जा सकती है।
यह बात उल्लेखनीय है कि भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय संबंधों का इतिहास काफी पुराना और मजबूत है। दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति, ऊर्जा और श्रमिकों के मुद्दे पर गहरे रिश्ते हैं। कुवैत एक तेल समृद्ध राष्ट्र है, इस लिहाज से भारतीय श्रमिकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में भी कुवैत का महत्व बढ़ता जा रहा है। ऐसे में, प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय हितों को विभिन्न मोर्चों पर सुदृढ़ करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। कुवैत और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है। कुवैत खाड़ी क्षेत्र में स्थित है और मध्य-पूर्व में भारत का एक अहम साझेदार देश है। दोनों देशों के बीच व्यापार का प्रमुख हिस्सा पेट्रोलियम और गैस है, इसीलिए भारत को ऊर्जा आपूर्ति में एक महत्वपूर्ण साझेदार है।
भारत के लिए कुवैत की महत्वपूर्ण भूमिका का एक और पहलू कुवैत में रह रहे भारतीय नागरिकों की है। कुवैत में लगभग 8 लाख भारतीय नागरिक रहते हैं, जो न केवल कुवैत की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं, बल्कि भारत और कुवैत के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को भी मजबूत बनाते हैं। इन श्रमिकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान है, क्योंकि कुवैत से भेजी जाने वाली रेमिटेंस भारतीय परिवारों के लिए महत्वपूर्ण आय का स्रोत होती है।
निश्चित रूप से प्रधानमंत्री मोदी का कुवैत दौरा भारतीय कूटनीति के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक और रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करने का एक सुनहरा अवसर है। इस दौरे के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी, जिनमें ऊर्जा, रक्षा, व्यापार, संस्कृति, और श्रमिकों के अधिकार शामिल होंगे। कुवैत भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत यात्रा से कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति के मामले में न केवल सहयोग बढ़ेगा, बल्कि कुवैत के तेल क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों को भागीदारी का भी अवसर मिल सकता है। इसके अलावा, भारत के ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में कुवैत एक अहम भागीदार है। मोदी के इस दौरे से दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करने का मौका मिलेगा।
इसके अलावा कुवैत में भारतीय श्रमिकों की संख्या काफी ज्यादा है और उनकी सामाजिक और कानूनी सुरक्षा हमेशा से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। मोदी सरकार ने भारतीय श्रमिकों के अधिकारों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं और कुवैत यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर भी बातचीत होगी। यह दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा, साथ ही भारतीय श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में भी काम होगा। कुवैत में भारत का व्यापार साल दर साल बढ़ रहा है और मोदी के इस दौरे से दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौतों में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, कुवैत के निवेशकों के लिए भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बन सकता है, खासकर यदि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है। कुवैत भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और अन्य क्षेत्रों में निवेश कर सकता है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।
कुवैत में भारतीय संस्कृति का एक अहम स्थान है और वहां के भारतीय समुदाय के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए भी इस दौरे का महत्वपूर्ण असर हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के कुवैत दौरे से भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा मिल सकता है और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मजबूत किया जा सकता है। यह भारतीय समुदाय के लिए गर्व का क्षण होगा और कुवैत में भारत की पहचान को और मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी का कुवैत दौरा न केवल तत्कालीन लाभों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं। इससे भारत और कुवैत के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों को एक नई दिशा मिल सकती है, जिससे दोनों देशों को दीर्घकालिक आर्थिक और रणनीतिक लाभ होगा। भारत के लिए कुवैत जैसे देशों के साथ मजबूत ऊर्जा सहयोग, न केवल ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगा। भारतीय श्रमिकों की स्थिति में सुधार, उनके अधिकारों की रक्षा और उनके जीवन स्तर में वृद्धि भारत की कुवैत से रिश्तों में स्थिरता और विश्वास बढ़ाएगी। कुवैत के साथ संबंधों को मजबूत करना भारत की मध्य-पूर्व नीति को नई दिशा दे सकता है। इससे भारत को खाड़ी देशों के साथ और गहरे रणनीतिक रिश्ते बनाने का अवसर मिलेगा, जो भारत की वैश्विक कूटनीति को और प्रभावी बनाएगा। कुवैत में भारतीय निवेश और कुवैत का भारत में निवेश दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दे सकते हैं। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और दोनों देशों की कंपनियों के लिए नए बाजारों की सृजन होगी।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुवैत दौरा न केवल भारतीय कूटनीति का एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भारत और कुवैत के रिश्तों में एक नया अध्याय खोलने का अवसर भी है। इस दौरे से ऊर्जा, श्रमिकों के कल्याण, व्यापार, और सांस्कृतिक संबंधों के क्षेत्र में कई सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं। यदि दोनों देश इस अवसर का सही इस्तेमाल करते हैं, तो यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करेगा, बल्कि भारत की मध्य-पूर्व नीति में भी नया मोड़ ला सकता है।