शिवाकार हो गये पंडित संदीप मलिक!
रांची में आयोजित नृत्यशाला की तरफ से प्रत्याशा नृत्य उत्सव-2024 का आयोजन
राष्ट्र संवाद संवाददाता
रांची। शिव कौन हैं, कैसे हैं, क्या करते हैं, कैसे आशीर्वाद देते हैं, कैसे वियोग सहते हैं और कैसे संहार करते हैं, यह आपने किताबों में पढ़ा होगा या फिर फ़िल्मों में देखा होगा। लेकिन, जब कथक के माध्यम से इसे रुपहले मंच पर एक आकार दिया जाता है तो बदले में मिलती हैं ना रुकने वाली तालियां। जी हां, पंडित संदीप मलिक के हिस्से में ऐसी ही तालियां आईं। महान कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज के इन योग्य शिष्य ने कथक की शानदार प्रस्तुति से लोगों का दिल जीत लिया. मौका था डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची के सभागार में आयोजित प्रतिष्ठित कला संस्था नृत्यशाला द्वारा प्रत्याशा नृत्य उत्सव-2024 के आयोजन का।
अंतर्राष्ट्रीय कथक नर्तक पं. संदीप मलिक ने सर्वप्रथम नाद वंदना की। नाद वंदना में परमपिता ब्रह्मा और मां सरस्वती को याद कर ऊंमकार किया जाता है। इस प्रस्तुति को उन्होंने शिव के प्रिय घुंघरू के माध्यम से साकार किया। भगवान शिव से संबंधित जितने भी तत्व हैं, उन सभी को नाद वंदना में शामिल कर उन्होंने दर्शकों को अभिभूत कर दिया। उनका प्रदर्शन ऐसा था कि लोग अपलक उन्हें निहारते रहे, उनके प्रदर्शन पर तालियां बजा-बजा कर हौसलाअफजाई करते रहे। फिर उन्होंने त्रिताल (तीन ताल) प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने सोलहों मात्राओं का अर्थ, महत्व और अन्य तथ्यों को बखूबी रेखांकित किया। दरअसल, तीन ताल में चार बराबर के विभाग होते हैं और पंडित जी ने सभी विभागों के साथ एकसमान व्यवहार किया। उन्होंने ठाट, आमद, टुकड़ा, टोडा, तेहाई, पारण आदि के बारे में भी गहराई से समझाया। उनके साथ तबले पर अनिरूद्ध मुखर्जी, सरोद पर सुनंदों मुखर्जी और हारमोनियम पर शुभाशीष भट्टाचार्य ने उनका भरपूर साथ दिया। इन कलाकारों के हिस्से में भी बराबर की दाद आई।
नृत्यशाला की संस्थापिका प्रख्यात कथक नृत्यांगना मोनिका डे की प्रस्तुति शानदार रही। उन्होंने पंडित बिरजू महाराज के केदार तराना, सावन की धुन और अन्य मधुर धुनों पर मनमोहक प्रस्तुति देकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। बाद में नृत्यशाला की छात्राओं का भी प्रदर्शन हुआ। इन छात्राओं ने लोक नृत्य तथा अमोलिका नंदी का एकल नृत्य पेश किया, जिसे दर्शकों की भारी दाद मिली। इसमें नृत्यशाला की तीन साल की बच्ची से लेकर 68 साल के बुजुर्ग तक शामिल हुए।
गौरतलब है कि नृत्यशाला में ऑनलाइन प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थी कई राज्यों से कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रांची पहुँच चुके है। तीन साढ़े तीन साल से पांच साल के बच्चों में ज़ेवनिया, धृति, त्रिविधा प्रमुख थी। छह साल से दस साल के ग्रुप में संस्कृति, वान्या, नव्या, तनिष्का मुख्य थी। 11 साल से तेरह साल के ग्रुप में सिद्धि, अनुष्का, और दृष्टि मुख्य थी। 13 से 16 साल के ग्रुप में सानवी, आराध्या और नैन्सी मुख्य थी। इसी प्रकार 30 से 68 वर्ष में सरिता, उदिता, रणजीत, मंजू, वंदना एवं प्रियंका प्रमुख थे।
नृत्यशाला के कार्यक्रम को लेकर रांची के कला जगत में जबरदस्त उत्साह का माहौल रहा। आम लोगों की भीड़ की वजह से सभागार के बाहर से भी लोगों ने कार्यक्रम का लुत्फ उठाया।