हजारीबाग के दीपुगढ़ा में 6 घंटा अखंड कीर्तन “बाबा नाम केवलम” का आयोजन हुआ। इसमें साधक भाव-विभोर हुए। कीर्तन में हज़ारीबाग़ से सैकड़ों महिलाओं, बच्चो और पुरुषों ने भाग लिया और आध्यात्मिक लाभ उठाया।
यह कार्यक्रम बालेश्वर जी के घर पर हुआ और कीर्तन के साथ साथ आनंद मार्ग चार्याचार्य विधि से गृह प्रवेश का भी अयोजन हुआ।
चरम निर्देश में सभी साधकों ने यम-नियम का सख्ती के साथ पालन करने का संकल्प लिया।
स्वाध्याय के उपरांत आनंद मार्ग के अवधूतिका आनन्द लघिमा आचार्या ने अध्यात्म पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जब भौतिक मन सुक्ष्मता के चरम बिन्दु पर पहुंचता है, तो उसे मानसिक ज्ञान कहते हैं। यहां से मानसिक ज्ञान का मूल्य आरंभ होता है एवं जब मानसिक ज्ञान सुक्ष्मता के चरम बिंदु पर पहुंचता है तब वह आध्यात्मिकता के संपर्क में आता है।
ज़िले के भुक्ति प्रधान जनरल राजेंद्र राणा ने बताया कि कीर्तन का मतलब जोर-जोर से किसी का गुणगान करना है। श्रीश्री आनंदमूर्ति जी ने भी व्यक्तिगत साधना के अलावा सामूहिक साधना के लिए ‘बाबा नाम केवलम’ का नाम संकीर्तन का मंत्र दिया है। बाबा का अर्थ है सबसे प्रिय और पूरे मंत्र का अर्थ है अपने सबसे प्रिय इष्ट का नाम। इस कीर्तन से व्यक्तिगत बाधाओं और सामूहिक विपत्तियों से छुटकारा मिल सकता है। कीर्तन के लिए समय, स्थान या व्यक्ति का प्रतिबंध नहीं है, कोई कभी भी कीर्तन कर सकता है।
कार्यक्रम में जिले के सभी आनंदमार्गी उपस्थित रहे।।